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इतनी बड़ी लापरवाही! 6 घंटे तक मरीजों को एक कम्पाउंडर के भरोसे छोड़ा

locationरीवाPublished: Mar 18, 2017 04:08:00 pm

Submitted by:

dinesh rathore

एसके अस्पताल में ट्रोमा यूनिट स्टॉफ की नियुक्ति को लेकर हो रही खींचतान मरीजों के लिए परेशानी बन गई है। इसकी बानगी शुक्रवार को ट्रोमा में आने वाले मरीजों को भुगतनी पड़ी।

एसके अस्पताल में ट्रोमा यूनिट स्टॉफ की नियुक्ति को लेकर हो रही खींचतान मरीजों के लिए परेशानी बन गई है। इसकी बानगी शुक्रवार को ट्रोमा में आने वाले मरीजों को भुगतनी पड़ी। जानकारी के अनुसार ट्रोमा में सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक महज एक कम्पाउंडर ही तैनात था। ट्रोमा में आने वाले मारपीट के चार गंभीर मरीजों के इलाज के दौरान परेशानी हुई। गौरतलब है कि ट्रोमा में रोजाना औसतन ढाई सौ से अधिक मरीज आते हैं। जिनमें घायल, गंभीर बीमार व ड्रेसिंग करवाने वाले होते हैं। इसके बावजूद कई नर्सिंग कर्मी मनमर्जी से ड्यूटी लगवा लेते हैं। ट्रोमा में पर्याप्त स्टॉफ को लगाने के लिए अस्पताल प्रबंधन गंभीर नहीं है। 
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यह है कारण 

ट्रोमा में पूर्व में 12 कर्मचारियों का स्टाफ तीन शिफ्ट में ड्यूटी देता रहा है। कुछ दिन पहले नर्सिंग अधीक्षक ने आदेश दिया कि ट्रोमा में इंचार्ज के साथ दो नर्स ग्रेड सैकंड डयूटी देंगे। स्टाफ की कमी को लेकर अस्पताल प्रबंधन को कई बार अवगत कराने के बाद भी ध्यान नहीं देने से मरीजों से मरीजों को परेशानी हो रही है। नर्सिंग स्टॉफ की माने तो अस्पताल में कई बार गंभीर मरीज को जयपुर रैफर करते समय एक नर्सिंग स्टाफ को साथ में भेजना पड़ता है एेसे में स्टाफ को डबल ड्यूटी देनी पड़ती है। 
मामला जानकारी में नहीं… ट्रोमा में एक कर्मचारी के न्यायालय में जाने से और एक कर्मचारी को एफबीएनसी वार्ड में लगाने से परेशानी हुई है। यह नर्सिंग अधीक्षक की जिम्मेदारी होती है।

डा. एस.के. शर्मा, पीएमओ, एसके अस्पताल
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