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सिविल अस्पताल खुद बीमार, महिला मरीजों को नहीं मिल रहा बिस्तर

locationरीवाPublished: Aug 31, 2018 10:42:32 pm

Submitted by:

Mahesh Singh

अस्पताल में नास्ता, खाना सहित अन्य कोई सुविधाएं नहीं, मरीज परेशान

Civil Hospitals themselves sick, female patients disturbing

Civil Hospitals themselves sick, female patients disturbing

रीवा. मरीजों का इलाज तो दूर की बात है त्योंथर का सिविल अस्पताल खुद बीमार है। महिला मरीजों को न तो बिस्तर मिल रहा और न ही अस्पताल में नास्ता व खाना सहित अन्य सुविधाएं ही मिलती हैं। जिससे मरीज खासे परेशान हैं। इलाज के लिए मरीजों को बाहर जाना पड़ रहा है। डॉ. सुनील सिंह अस्पताल में मौजूद नहीं रहते जिससे अस्पताल स्टॉफ भी मनमानी कर रहा है।

प्रशासन द्वारा जहां प्रसूताओं के सुरक्षित प्रसव एवं स्वस्थ्य जच्चा-बच्चा के लिए कई जन कल्याणकारी योजनाएं चला रहे हैं वहीं त्योंथर शिविल अस्पताल में महिला मरीजों को कोई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। यहां तक कि वार्ड में प्रसूता महिलाओं को बिस्तर व चद्दर तक नहीं मिल रहा है। वे खाली बेड पर नवजात बच्चों को लेकर लेटी रहती हैं। परिजन घर से खाना-नाश्ता और चद्दर लाते हैं। अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि पिछले दस दिन से उपस्थिति रजिस्टर कर्मचारियों को नहीं दिया गया है।

डॉक्टर व कर्मचारी रहते हैं नदारद
अस्पताल के डॉक्टर एवं कर्मचारी आएदिन नदारद रहते हैं। स्टॉफ माने तो उपस्थिति रजिस्टर डॉ. सुनील सिंह अपने पास रखकर मुख्यालय से नदारद रहते हैं जिसकी वजह से समस्या आ रही है। कर्मचारी भी मनमानी रूप से अस्पताल आते-जाते रहते हैं। जबतक त्योंथर अस्पताल में स्थाई चिकित्सक की पदस्थापना नहीं होती तब तक यह समस्या बनी रहेगी। स्थानीय लोगों ने इस समस्या से एसडीएम एके सिंह अवगत कराया है। साथ ही सीएमएचओ को भी जानकारी भेजी गई है।

उजागर हुई अस्पताल की लापरवाही
अस्पताल में चिकित्सों के नहीं होने की लापरवाही खुलकर सामने आ गई है। हुआ यह कि पचामा निवासी हिंच्छलाल हरिजन पिता शंकर लाल 45 वर्ष द्वारा अज्ञात कारणों के चलते जहर का सेवन कर लिया गया था। परिजनों द्वारा पीड़ित को त्योंथर के सिविल अस्पताल लाया गया जहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। परेशान परिजन पीडि़त को चिल्ला बाजार में स्थित निजी क्लीनिक के डॉक्टर के पास ले आये जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी। बताया गया कि यदि अस्पताल में चिकित्सक होते तो समय पर उपचार देकर सायद पीडि़त की जान बचाई जा सकती थी।

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