निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से भी कम मिल रहा है मानदेय
उद्योग मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए कर्मचारियों ने कहा कि शासकीय कॉलेजों में वह पिछले कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं। उन्हें नियमित करने की बात तो दूरे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की तरह मानदेय का भुगतान किया जा रहा है। उन्हें मिलने वाला मानदेय निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। इतना ही नहीं अलग-अलग कॉलेजों में दिए जाने वाले मानदेय की राशि में अंतर है।
उद्योग मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए कर्मचारियों ने कहा कि शासकीय कॉलेजों में वह पिछले कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं। उन्हें नियमित करने की बात तो दूरे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की तरह मानदेय का भुगतान किया जा रहा है। उन्हें मिलने वाला मानदेय निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। इतना ही नहीं अलग-अलग कॉलेजों में दिए जाने वाले मानदेय की राशि में अंतर है।
कर्मचारियों के लिए जल्द से जल्द निर्धारित हो नीति
कर्मचारियों ने उद्योग मंत्री से अपील किया कि इन विसंगतियों को दूर कर उन्हें स्थाई कर्मी बनाया जाए। जनभागीदारी मद में रखे गए गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए तत्काल नीति निर्धारण किया जाए। कर्मचारियों ने कहा कि उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो वह मजबूरन आंदोलन करने को बाध्य होंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में अरूण कुमार पाण्डेय, आकाश वर्मा, संध्या पाण्डेय, कौशिल्या साकेत, सावित्रि कुशवाहा, नीतू सिंह, आरती गुप्ता सहित कई कॉलेजों में अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
कर्मचारियों ने उद्योग मंत्री से अपील किया कि इन विसंगतियों को दूर कर उन्हें स्थाई कर्मी बनाया जाए। जनभागीदारी मद में रखे गए गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए तत्काल नीति निर्धारण किया जाए। कर्मचारियों ने कहा कि उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो वह मजबूरन आंदोलन करने को बाध्य होंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में अरूण कुमार पाण्डेय, आकाश वर्मा, संध्या पाण्डेय, कौशिल्या साकेत, सावित्रि कुशवाहा, नीतू सिंह, आरती गुप्ता सहित कई कॉलेजों में अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
पिछले कई महीनों से शांतिपूर्ण कर रहे हैं मांग
स्थाई कर्मी बनाने और मानदेय में एकरूपता लाने की मांग को लेकर जनभागीदारी समिति के जरिए नियुक्त कर्मचारी पिछले कई महीनों से शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों पर कोई गौर फरमाने की जरूरत नहीं समझ रहा है। यही वजह है कि कर्मचारी अब उग्र आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। कर्मचारियों के संबंध में ज्यादातर कॉलेजों के प्राचार्य का रूख सकारात्मक है, लेकिन वह मानदेय का भुगतान निर्धारित नियमों के तहत ही करने को बाध्य हैं।
स्थाई कर्मी बनाने और मानदेय में एकरूपता लाने की मांग को लेकर जनभागीदारी समिति के जरिए नियुक्त कर्मचारी पिछले कई महीनों से शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों पर कोई गौर फरमाने की जरूरत नहीं समझ रहा है। यही वजह है कि कर्मचारी अब उग्र आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। कर्मचारियों के संबंध में ज्यादातर कॉलेजों के प्राचार्य का रूख सकारात्मक है, लेकिन वह मानदेय का भुगतान निर्धारित नियमों के तहत ही करने को बाध्य हैं।