बता दें कि श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय के संजय गांधी अस्पताल की ओपीडी में आने से डॉक्टर कतराते हैं। यहां आने वाले मरीजों को वो अपने आवास पर देखते हैं। वहां इलाज की बेहतर सुविधा है। लेकिन इन सरकारी डॉक्टरों के निजी इलाज पर मरीजों और तीमारदारों की जेब ढीली हो रही है। यह सिलसिला लंबे अरसे से चल रहा है। जिला प्रशासन ने इस पर अंकुश लगाने की कई दफा कोशिश की पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
यहां तक कि पूर्व कमिश्नर प्रदीप खरे ने आदेश जारी कर संजय गांधी अस्पताल में तैनात चिकित्सकों को अनिवार्य रूप से ओपीडी में मरीज को देखने एवं एमएलसी यानी पुलिस विभाग के मेडिकल संबंधित किसी भी प्रकार की जांच न करने की हिदायत दी थी। इतना ही नहीं सरकारी निवास पर क्लीनिक चलाने को भी प्रतिबंधित करने का निर्देश भी दिया था। पर जैसे ही उनका तबादला हुआ हालात फिर जस के तस हो गए।
लेकिन जब पानी सिर के ऊपर जाने लगा तो मामला वर्तमान कमिश्नर राजेश कुमार जैन तक पहुंचा। जैन का कहना है कि यह शिकायत मुझे भी प्राप्त हुई है कि श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय में नियुक्त प्राध्यापक जो संजय गांधी अस्पताल के विभिन्न विभागों के एचओडी पद पर नियुक्त हैं वो सरकारी निवास पर निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। यह मामला संज्ञान में आने के बाद अब विधिक कार्रवाई के लिए श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता को निर्देशित किया जा रहा है।
बता दें कि श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय के संजय गांधी अस्पताल को विंध्य की जीवनदायिनी अस्पताल के नाम से जाना जाता है। बेहतर सुविधा और हुनरमंद डॉक्टरों के होने के बावजूद लोगों को अस्पताल में चिकित्सकीय सुविधा मुहैया नही हो पा रही है। यहां आने वाले मरीजों को डॉक्टरों के सरकारी आवास पर संचालित उनके निजी क्लीनिक में स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए जाना पड़ता है।