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जनप्रतिनिधियों और निगमकर्मियों के बीच तकरार, काम पर कर्मचारी लौटे लेकिन मांगों पर अड़े

locationरीवाPublished: Aug 22, 2018 12:33:56 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

कलेक्टर की फटकार पर पहुंचे निगम आयुक्त ने कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त कराई

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Conflicts between public representatives and corporation personnel

रीवा। नगर निगम में संबल कार्ड वितरण को लेकर कांग्रेस पार्षदों और निगम अधिकारी-कर्मचारियों के साथ हुए विवाद पर दूसरे दिन भी गहमागहमी बनी रही। पूर्व घोषणा के अनुसार निगम कर्मचारियों ने सुबह ताला ही नहीं खोला और कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। इनकी मांग थी कि कांग्रेस के जिन पार्षदों ने अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अभद्रता की है उनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारी की जाए। इसके साथ ही सुबह से शहर में सफाई भी नहीं की गई, जिसकी वजह से कई स्थानों पर कचरा फैला नजर आया।
दोपहर कांग्रेस के नेताओं और पार्षदों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। जिसमें संबल कार्ड वितरण में चल रही मनमानी रोकने के साथ ही पारदर्शी तरीके से कार्रवाई करने की मांग उठाई। साथ ही कहा कि निगम आयुक्त एवं प्रभारी अधीक्षण यंत्री ने कर्मचारियों को हड़ताल के लिए उकसाया है। त्योहार आ रहे हैं, ऐसे में लोगों को समस्या होगी।
कलेक्टर ने कहा कि वह इस संबंध में आयुक्त से बात करेंगी और शहर में किसी तरह की समस्या नहीं आएगी। ज्ञापन देकर कांग्रेसी कलेक्ट्रेट से बाहर आए, कुछ ही देर बाद निगम आयुक्त आरपी सिंह अपने कार्यालय पहुंचे और कर्मचारियों से हड़ताल समाप्त करने के लिए कहा। जिसके बाद कर्मचारियों की ओर से हड़ताल समाप्त करने की घोषणा कर दी गई।
गाय दफनाने के मामले में आयुक्त की बताई संदिग्ध भूमिका
कांग्रेस के शहर अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू, पार्षद दल के नेता अजय मिश्रा, लखनलाल खंडेलवाल, सज्जन पटेल, रामप्रकाश तिवारी, अशोक पटेल, नजमा बेगम, आरती बक्सरिया सहित अन्य ने कलेक्टर को यह भी ज्ञापन दिया है कि बीते ११ अगस्त की रात्रि निगम आयुक्त आरपी सिंह एवं सफाई गोदाम प्रभारी बुद्ध सिंह आदि ने शहर का सौहार्द बिगाडऩे के लिए निगम परिसर में गायों को दफनाया था। इस मामले में गोदाम प्रभारी पर आयुक्त ने कार्रवाई नहीं की। इस कारण आयुक्त एवं गोदाम प्रभारी को निलंबित करते हुए आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। इतना ही नहीं यह भी कहा गया है कि जिसे गोदाम प्रभारी बनाया गया है उसकी सेवाएं 26 जून 2009 को जारी निगम आयुक्त के आदेश से समाप्त की जा चुकी हैं। उसने अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति कूटरचित तरीके से ली थी। साथ ही उसकी मां को भी नियुक्ति दी गई थी। उस पर भी कार्रवाई की मांग उठाई है।
त्योहार के चलते हड़ताल स्थगित की
निगम कर्मचारी संघ के अरुण शुक्ला, राजेश चतुर्वेदी, अच्छेलाल पटेल, सुरेन्द्र सिंह, मुन्नालाल बाल्मीक, बुद्ध सिंह करोसिया, संतोष सिंह, केशव पटेल, सुखेन्द्र चतुर्वेदी, सुनील चुटेले, इबरार खान आदि ने कहा है कि त्योहारों के मद्देनजर अधिकारियों ने काम पर लौटने के लिए कहा। इस वजह से वह काम पर लौट रहे हैं। यदि मांगों पर कार्रवाई नहीं होती और कर्मचारियों के साथ फिर से दुव्र्यवहार होता है तो दोबारा हड़ताल शुरू कर दी जाएगी।

नेता प्रतिपक्ष के चेंबर का आवंटन हमारी ओर से निरस्त नहीं किया गया है। इस पर अभी कोई सूचना भी नहीं है। एक निजी कार्यक्रम में चले जाने की वजह से जानकारी नहीं मिली है। पूछने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा। कर्मचारियों ने त्योहार के मद्देनजर हड़ताल समाप्त कर दी है। कोशिश है कि व्यवस्था पूर्व की तरह संचालित की जाए।
आरपी सिंह, आयुक्त नगर निगम

कक्ष का हमारे लिए कोई इश्यू नहीं है। वह विपक्ष के पार्षदों को दिया गया था। हम जनता की बात उठा रहे हैं, सवाल पूछ रहे हैं तो कर्मचारियों को मोहरा बनाया जा रहा है। कमिश्नर ने गायों को परिसर में दफनाने का निर्देश दिया था, उसका जल्द ही खुलासा होने वाला है। हम जनता के मुद्दों से नहीं भटकेंगे, शहर में मनमानी की इजाजत नहीं दी जा सकती।
अजय मिश्रा, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम
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नेता प्रतिपक्ष के चेंबर में कर्मचारियों का कब्जा
नगर निगम द्वारा नेता प्रतिपक्ष के लिए चेंबर आवंटित किया गया था। जिस पर कर्मचारियों ने अपना कब्जा करते हुए संगठन का बोर्ड लगा दिया है। साथ ही महापौर, निगम आयुक्त आदि को पत्र लिखकर उक्त कक्ष में अतिक्रमण होने का उल्लेख करते हुए कहा है कि इसे कर्मचारी संघ को आवंटित किया जाए। इस मामले में जिस तरह से निगम के अधिकारियों की मौन स्वीकृति रही है, उससे सवाल भी उठने लगे हैं।
11 मार्च 2016 को परिषद की बैठक में वार्ड 13 की पार्षद नम्रता सिंह ने सवाल लगाया था कि निगम के नेता विपक्ष को किस नियम के तहत कक्ष आवंटित किया गया है। उस दौरान सत्ता पक्ष की ओर से जवाब दिया गया था कि नेता प्रतिपक्ष का उल्लेख नगर पालिक निगम अधिनियम में नहीं है। यह व्यवस्था पूर्व से चली आ रही है, अन्य निगमों में भी है।
इसके बाद 17 मार्च की बैठक में एमआईसी सदस्य नीरज पटेल ने परिषद से संकल्प पारित कराया था कि महापौर और स्पीकर की तरह नेता प्रतिपक्ष को भी कक्ष आवंटित कर अन्य सुविधाएं दी जाए। अब विरोध किए जाने के बाद कक्ष का आवंटन निरस्त करने से निगम प्रशासन सवालों के घेरे में है। इस पर कई एमआईसी के सदस्यों ने भी आपत्ति दर्ज कराई है और कहा है कि जब एमआईसी और परिषद की अनुशंसा पर आवंटन हुआ है तो स्वयं के स्तर पर अधिकारी निर्णय कैसे ले सकते हैं। माना जा रहा है कि इस मामले में अभी और हंगामा हो सकता है।
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