जीएमएच के पिछले हिस्से में बने गायनी वार्ड में प्रसूताएं बेड पर गर्मी में तड़प रहीं हैं। सुबह दोपहर तक ठीक रहता है। दोपहर बाद से लेकर आधी रात तक वार्ड में महिलाएं गर्मी से बेहाल रहती हैं। जीएमएच के दूसरी मंजिल पर भी महिला वार्ड में कूलर, पंखे तो लगे हैं। लेकिन, चालू नहीं हैं। जो कूलर चालू भी हैं उसमें पानी नहीं है। कूलर के गर्म हवाओं से महिला मरीज और तीमारदार परेशान हैं। वार्ड में एग्जास्ट जले हुए हैं। कइयो ठीक होने के बाद भी चालू नहीं हैं। महिला वार्ड के पुराने भवन में कहने को पंखे लगे हैं। कुछ पंखों को छोड़ दे तो कई पंखे ऐसे ही लटक रहे हैं। दोपहर उमसभरी गर्मी से प्रसूताएं तड़प रहीं हैं।
शिशु एवं बाल्य विभाग में शिशु चिकित्सा गहन इकाई को छोड़ तो सामान्य वार्ड में बच्चे गर्मी से बिलबिला रहे हें। अकेले जीएमएच में 20 से अधिक कूलर लगे हुए हैं। अधिकांश की स्थिति ठीक नहीं है। इसी तरह एसजीएमएच में ऐसे भी वार्ड हैं जहां पर एसी नहीं लगी है। वहां पर एक दर्जन से अधिक कूलर लगाए गए हैं। अधिकांश खराब पड़े हैं। रिपेयरिंग का काम चालू है। कुछ कूलर में घास बदल दी गई है। लेकिन, वह चालू नहीं हैं।
जीएमएच के बच्चा वार्ड के बाहर गैलरी में सैकड़ो की संख्या में तीमारदार रहते हैं। तामपान का पारा 42 से लेकर 46 के बीच चढ़ता उतरता है। मौसम के इस तेवर से गैलरी से लेकर वार्ड में बच्चे व तीमारदार उबल रहे हैं। शिशु विभाग में कई वार्ड एसी हैं। वहां भी दोपहर में उमस बढ़ जाती है। एसी भी फेल हो जाता है।
संजय गांधी अस्पताल में कहने को गर्मी से निपटने के लिए फरवरी में ही बैठक के दौरान मंथन कर लिया गया है। खरीदी के लिए लगभग 25 कूलर-पंखे के प्रस्ताव को स्वीकृत भी मिल गई है। लेकिन, अभी तक खरीदे नहीं जा सके हैं। हैरान करने वाली बात तो यह कि मई माह बीतने को है। बावजूद इसके क्रय नहीं किए जा सके। इसके अलावा पुराने सामग्री के अभाव में मरम्मत भी नहीं हो पा रहे हैं।
अधिकांश जगहों पर एसी लगी है। जीएमएच व एसजीएम के कुछ वार्ड में अभी भी कूलर-पंख चल रहे हैं। कुछ तकनीकि खामियों के कारण बंद है। उसे ठीक कराए जा रहे हैं। वैकल्पिक व्यवस्था कर दी गई है। जिन वार्डो में दिक्कत हैं वहां पर जल्द समस्या दूर हो जाएगी।
डॉ . पीके लखटकिया, अधीक्षक, संजय गांधी अस्पताल