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जिस मामले में महीने भर हंगामा चला, उस पर पुलिस ने साध ली चुप्पी, जानिए क्या है पूरा मामला

locationरीवाPublished: Oct 29, 2018 09:18:03 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– कई दिनों तक घटना को लेकर हुआ था विवाद, इसके बाद भी पुलिस रही खामोश
 

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रीवा। नगर निगम कार्यालय परिसर में मवेशियों को दफनाने के मामले में करीब ढाई महीने से अधिक का समय बीत चुका है, अब तक पुलिस आरोपियों का पता नहीं लगा पाई है। इस मामले को लेकर काफी बवाल हुआ और कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन निगम कार्यालय और कलेक्ट्रेट में हुआ।
पुलिस अधिकारियों ने उस दौरान कहा कि जल्द ही आरोपियों का पता लगाया जाएगा। पुलिस की इस उदासीनता के चलते निष्पक्ष कार्यवाही पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। ११ अगस्त की रात नगर निगम कार्यालय परिसर में जेसीबी से गड्ढा खोदा गया और आठ की संख्या में मवेशियों को दफनाया गया। दूसरे दिन १२ अगस्त को सुबह जब इसकी जानकारी हुई तो कांग्रेस विधायक सुंदरलाल तिवारी, कांग्रेस के पार्षदों सहित स्थानीय लोगों ने निगम कार्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया। करीब चार घंटे से अधिक समय तक चले बवाल की वजह से मौके पर कलेक्टर, एसपी भी आए और आश्वासन दिया कि इस मामले में जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी।
आरोप लगाए गए थे कि निगम के अधिकारियों ने साजिश के तहत यहां पर मवेशियों को दफनाया था। उस दौरान कोष्टा गांव के डंपिंग प्वाइंट में मृत मवेशियों को ले जाने का स्थानीय लोग विरोध कर रहे थे, जिसके चलते निगम के पास इन्हें फेंकने का कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था।
इसी वजह से निगम के कुछ कर्मचारियों ने ही वहां पर ले जाकर दफना दिया। इस मामले में नगर निगम ने स्वास्थ्य अधिकारी सहित पांच कर्मचारियों को निलंबित कर दिया।
मस्टर के श्रमिकों की सेवा समाप्त कर दी गई। कुछ को पुलिस उठा ले गई थी, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। धरना-प्रदर्शन के बाद सिविल लाइन पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया था लेकिन उनकी पहचान अब तक नहीं कर पाई है। इधर निगम ने भी जांच कर दोषियों की पहचान करने का दावा किया था लेकिन अब तक इनकी ओर से भी कोई नाम पुलिस को नहीं दिया गया है। मामले में कांग्रेस ने भी कई दिनों तक प्रदर्शन किया, लेकिन अब वहां से भी आवाज नहीं उठाई जा रही है।
सीसीटीवी फुटेज नहीं खंगाले
नगर निगम कार्यालय एवं वहां तक पहुंचने के रास्ते में कई जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। लोगों ने मांग उठाई थी कि सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले जाएं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि निगम परिसर में मवेशी लेकर कौन पहुंचे थे और किसकी साजिश की वजह से इस घटनाक्रम को अंजाम दिया गया था। पहले पुलिस राजनीतिक दबाव में रही अब सिविल लाइन के थाना प्रभारी तर्क दे रहे हैं कि चुनाव की व्यस्तता की वजह से विवेचना के लिए समय नहीं मिल पा रहा है।
सत्ता के इशारे पर थाने से छोड़े थे संदेही
पुलिस ने नगर निगम के श्रमिकों एवं कुछ कर्मचारियों को थाने में बैठाया था, उस दौरान सत्ता से जुड़े लोगों पर भी दबाव बन रहा था। इस कारण थाने में बैठाए गए आरोपियों को सत्ता के दबाव की वजह से पुलिस ने छोड़ दिया था। इसे लेकर पार्षदों ने कई दिनों तक हंगामा मचाया था।
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