पूर्व में कई बार स्थानीय विधायक एवं अन्य नेताओं द्वारा शहर में एक और कन्या महाविद्यालय की मांग को उचित बताते हुए आश्वासन दिया जाता रहा है। सरकार बदली तो कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने जोर दिया और तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री ने मंच से घोषणा किया कि अगला प्रवेश नए जीडीसी में भी होगा। इसके लिए कलेक्टर से तत्काल प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया था। इसके बाद स्थानीय नेताओं ने भी प्रयास नहीं किया और कलेक्टर के स्तर पर भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। इसके कुछ समय बाद सरकार बदल गई, नई सरकार आई तो जिम्मेदारों को फोकस कुछ चिन्हित कार्यों तक ही सीमित रह गया। छात्राओं की इस बड़ी समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
उच्च शिक्षा के अधिकारियों की ओर से पूर्व में एक प्रस्ताव यह भी दिया गया था कि अनुदान प्राप्त जनता कालेज को ही शासकीय कन्या महाविद्यालय के रूप में अपग्रेड कर दिया जाए, जिससे छात्राओं को कालेज में प्रवेश की समस्या नहीं रहे। इस योजना पर भी कोई सहमति नहीं बन पाई है। राजनीतिक रूप से इसके लिए प्रयास नहीं किए जाने की वजह से यह समस्या सामने आई है। वहीं एक मांग मऊगंज में भी कन्या महाविद्यालय की उठी थी, इससे उस क्षेत्र की छात्राओं को राहत मिल सकती थी।
छात्राओं ने कहा, हमारी समस्या पर किसी का ध्यान नहीं
प्रवेश से वंचित रह गई कई छात्राओं ने व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उनकी समस्या पर किसी का ध्यान नहीं है। अब पूरे एक वर्ष तक वह पढ़ाई से दूर रहेंगी। खजुहा गांव के पास से आई ऋचा द्विवेदी ने कहा कि वह केवल जीडीसी में ही प्रवेश चाहती थी, करीब दो महीने तक इंतजार किया फिर भी नाम नहीं आया। यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह छात्राओं को प्रवेश दिलवाए। सीधी से आई काजल सिंह और गीता पटेल कहती हैं कि बड़ी मुश्किल से परिवार के लोग रीवा में पढ़ाने के लिए तैयार हुए लेकिन यहां तो प्रवेश ही नहीं मिला। प्रतिमा तिवारी ने कहा कि कालेज की ओर से आश्वासन मिला था कि बढ़ी सीटों के बाद प्रवेश हो जाएगा लेकिन अब तक नहीं मिल पाया है।
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स्नातक में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, अधिकांश विभागों की सीटें बढ़ाए जाने के बाद भी सभी फुल हो गईं और कई छात्राओं को प्रवेश नहीं मिल पाया है। फिलहाल यह बता पाना मुश्किल होगा कि कितनी संख्या में छात्राओं को प्रवेश नहीं मिला है, हमारे पास उनका आंकड़ा होता है जिन्हें प्रवेश दिया जाता है।
डॉ. नीता सिंह, प्राचार्य शासकीय कन्या महाविद्यालय रीवा
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डॉ. पंकज श्रीवास्तव अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा
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पत्रिका व्यू–
मांग के अनुरूप विकास चाहिए
रीवा में बीते कुछ वर्षों से विकास के कई कार्य तेजी के साथ हुए हैं, इसकी ब्रांडिंग भी सरकार कर रही है। इसके साथ ही कई ऐसी जरूरतें हैं, जिन्हें अब तक पूरा नहीं किया जा सका है। इसमें प्रमुख मांग शहर में एक और कन्या महाविद्यालय की है। हर साल प्रवेश के दिनों में यह मांग तेजी से उठती है, नेताओं के आश्वासन भी मिलते हैं लेकिन बाद में सब भूल जाते हैं। रीवा में 60 के दशक में सभी प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना हुई थी। इसके बाद से शिक्षा को नजरंदाज किया जाता रहा। लंबे अंतराल के बाद मंत्री रमाकांत तिवारी(अब दिवंगत) ने वेटरनरी कालेज की सौगात दिलवाई। तब से अब तक अन्य संस्थानों की मांग उठ रही है, इसी में कन्या महाविद्यालय भी शामिल है। आवश्यकता इस बात की है कि शहर का विकास जो भी वह जनता की मांग के अनुरूप होना चाहिए। सड़कें बनकर तैयार होती हैं फिर दूसरा प्रोजेक्ट शुरू हो जाता है, इसलिए शिक्षण व्यवस्था पर भी गंभीरता की आवश्यकता है।