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विश्वविद्यालय के कई विभागों में लगेगा ताला, जानिए बन रही क्या स्थिति

locationरीवाPublished: May 09, 2018 04:37:15 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

परेशान हो रहे अधिकारी व अतिथि विद्वान…

Departments of APS have not students, they will stop in this situation

Departments of APS have not students, they will stop in this situation

रीवा। नया शैक्षणिक सत्र नजदीक आने के साथ ही अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के उन विभागाध्याक्षों की धडक़न बढऩे लगी है, जिनमें छात्रों की संख्या इकाई अंक तक सीमित है। नए सत्र के लिए शुरू होने वाली प्रवेश प्रक्रिया में छात्रों की संख्या में इजाफा हो सके। इसको लेकर विश्वविद्यालय अधिकारियों और विभागाध्यक्षों के बीच कसरत शुरू हो गई है।
छात्रसंख्या बढ़ाने शुरू हुई कवायद
दरअसल विश्वविद्यालय में अधिकारी व आधा दर्जन से अधिक विभागाध्यक्ष प्रवेशित छात्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी के प्रयास में जुटे हैं। इसकी मूल वजह है कि अब की बार छात्रों की संख्या कम हुई तो विभाग में ताला बंद करने की नौबत आ जाएगी। क्योंकि पिछली बार प्रवेशित छात्रों की संख्या नहीं के बराबर होने के चलते कुल संख्या इकाई के अंक तक सीमित है। जिससे विभागों में ताला लटकने का खतरा मडराने लगा है।
अतिथि विद्वान भी हैं परेशान
विभागों में छात्रों की घटती संख्या के मद्देनजर अतिथि विद्वान भी परेशान हैं। परेशानी की वजह उनकी खुद की नियुक्ति है। दरअसल शासन की ओर से अभी हाल ही में जारी निर्देशों के मद्देनजर छात्रोंं की संख्या कम होने पर अतिथि विद्वानों का पद भी कम कर दिया जाएगा। यही वजह है कि अतिथि विद्वान भी विभागों में छात्रसंख्या बढ़ोत्तरी के प्रयास में जुटे हुए हैं।
कम छात्रसंख्या वाले विभाग
विश्वविद्यालय में कम छात्रसंख्या वाले विभागों में अंग्रेजी, प्राचीन इतिहास विभाग, लाइफ लांग लर्निंग, अद्वैत वेदांत, रूसी भाषा, एमबीए टूरिज्म, हिन्दी, मनोविज्ञान विभाग, व्यावसायिक अर्थशास्त्र सहित कुछ अन्य विभाग शामिल हैं। विज्ञान संकाय के गणित, भौतिकी व रसायन विभाग में छात्रों की संख्या संतोषजनक है।
पिछले दो वर्षों से बिगड़ी स्थिति
विश्वविद्यालय में इन विभागों की स्थिति पिछले दो वर्षों से खराब हुई है। प्रवेशित छात्रों की संख्या अचानक से कम हो गई। इसकी वजह विभागों में प्रोफेसरों की कमी और संबंधित विषयों में रोजगार का अभाव माना जा रहा है। छात्र पारंपरिक विषय की पढ़ाई करने के बजाए रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले रहे हैं।
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