जानकारी के मुताबिक भोपाल मौसम विज्ञान केंद्र ने पहले ही सतना और रीवा संभाग में दो दिनों तक मौसम खराब रहने और गरज-चमक के साथ 40-50 किलोमीटर प्रति घंटा की रप्तार से तूफान आने की चेतावनी दी थी। लेकिन प्रशासनिक अमले ने उसे नजरंदाज कर दिया। इसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ा।
तूफान की चेपट में आने से सतना और रीवा में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई। वहीं 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। खरीदी केंद्रों में रखा हजारों क्विंटल अनाज भींग गया। इसका असर पन्ना एवं सीधी में भी पड़ा। पन्ना में खेतों में रखी हजारों क्विंटल प्याज भीग गई। प्रशासन ने अगर समय रहते मौसम विभाग की चेतावनी पर गौर किया होता और एहतियाती कदम उठाए होते, लोगों को अलर्ट किया होता तो इस तूफानी कहर से पूरे इलाके को बचाया जा सकता था।
आलम यह है कि रीवा में गुरुवार से गुल बत्ती अब तक पूरी तरह से बहाल नहीं हो पाई है। कहने को बिजली विभाग ने अपनी पूरी टीम उतार दी है। फिर भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। बताया यह भी जा रहा है कि विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारियों की संख्या कम होने से अस्थाई श्रमिकों का भी सहारा लिया जा रहा है।
आलम यह है कि रीवा में गुरुवार से गुल बत्ती अब तक पूरी तरह से बहाल नहीं हो पाई है। कहने को बिजली विभाग ने अपनी पूरी टीम उतार दी है। फिर भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। बताया यह भी जा रहा है कि विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारियों की संख्या कम होने से अस्थाई श्रमिकों का भी सहारा लिया जा रहा है।
इस बीच विद्युत वितरण कंपनी के अधीक्षण अभियंता जीडी त्रिपाठी का कहना है कि तूफान के चलते 50 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ है। बड़ी लाइनों से आपूर्त बहाल कर दी गई है। अन्य क्षेत्रों की आपूर्ति बहाल करने के लिए टीम लगी है। हांलांकि बिजली आपूर्ति तीन दिन तक सामान्य न कर पाने के कारण त्रिपाठी का तबादला रीवा से सीधी कर दिया गया है। उनकी जगह शरद श्रीवास्तव को नए अधीक्षण अभियंता का दायित्व सौंपा गया है। श्रीवास्तव फिलहाल छिंदवाड़ा में इसी पद पर कार्यरत थे। वैसे वह पूर्व में रीवा में लंबे समय तक रह चुके हैं।
बिजली आपूर्ति सामान्य न होने से पेयजल की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। बताते हैं कि रानी तालाब और अजगरहा फिल्टर प्लांट तो कुछ देर के लिए शनिवार को चला भी लेकिन वह भी नाकाफी रहा। शाम को फिर से बिजली गुल हो जाने से पानी आपूर्ति पुनः बाधित हो गई। कई मोहल्ले ऐसे हैं जहां टैंकर तक नहीं भेज पाया नगर निगम। दरअसल कुठुलिया फिल्टर प्लांट के न चलने से ज्यादा दिक्कत हुई क्योंकि यहीं से आधे शहर को पेयजल की आपूर्ति होती है।