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पंचायतों में बुनियादी सुविधाओं का टोटा, बैंकों में ‘कैद’ 100 करोड़ का विकास

locationरीवाPublished: Dec 10, 2018 12:14:25 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

पंचपरमेश्वर योजना के तहत पंचायतों के खाते में राशि डंप, पंचायत सदन में आए प्रस्ताव पर जम रही अनदेखी की धूल
 

MP election 2018:  Development of the Border Area of MP-UP

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रीवा. जिले में आला अफसरों की अनदेखी के चलते ग्राम पंचायतों मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों और पंचायत प्रतिनिनिधियों के बीच आपसी खींचतान के चलते अकेले पंचपरमेश्वर योजना का 50 करोड़ से अधिक का विकास बैंकों में कैद है। इसके अलावा विभिन्न योजनाओं को मिलाकर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का विकास बैंकों में कैद है। मॉनीटरिंग के लिए जिला मुख्यालय से लेकर जनपद एवं पंचायत स्तर पर जिम्मेदारी दी गई है। बावजूद इसके पंचायतों में विकास का बंटाधार है।
जिले की 827 ग्राम पंचायतों में डंप है विकास

जिले में 827 ग्राम पंचायतों में वित्तीय साल पंचायतों में मूलभूत सुधिाओं के विकास के लिए जनसंख्या के आधार पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से पंचपरमेश्वर योजना के तहत राशि भेजी जाती है। विभागीय रेकॉर्ड के अनुसार जिले में पंचपरमेश्वर योजना के तहत 100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ग्राम पंचायतों के विकास के लिए भेजी गई है। इस राशि से गांव में मूलभूत सुविधांए जैसे नाली, खडंजा, पीपीसी निर्माण, चबूतरा, पेयजल की व्यवस्था आदि बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के लिए पंचायतों के खाते में राशि भेजी गई है। लेकिन, आला अफसरों से लेकर पंचायत स्तर के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते विकास कार्यों पर राशि खर्च नहीं की जा सकी है। रेकॉर्ड के पंचायत अमले की शिथितला इस कदर रही कि पंचायतों के खाते में अभी भी ५० करोड़ रुपए से अधिक की राशि डंप है। जिसको विकास पर खर्च नहीं किया सका।
अफसर हर माह करते रहे समीक्षा फिर भी पंचायतों के विकास का बंटाधार
जिला पंचायत कार्यालय में आइएएस अफसर के आने से लोगों में विकास उम्मीद जगी। लेकिन, आला अफसर नाकामी ने पंचायतों के विकास पर पानी फेर दिया। पंचायतों के खाते न तो पैसे की कमी थी और न ही अमले का टोटा है। इसके बाद भी पंचायतों की बुनियादी सुविधाएं दूर नहीं हो सकी। जिपं सीइओ और जनपद सीइओ हर माह दो बार समीक्षा बैठक करते रहे। बावजूद इसके विकास की रफ्तार नहीं बढ़ी। अफसरों की बैठकें भी महज खानापूर्ति रही। यही कारण है कि पंचायतों के खाते में विकास के करोड़ों रुपए डंप पड़े हैं।
पंचायतों के प्रस्ताव पर जम रही धूल
पंचायत सदन में प्रतिनिधियों और ग्रामीणों की ओर से विकास के लिए दिए गए प्रस्तावों पर लंबे समय से धूल जम रही है। जिले में 300 से अधिक ग्राम पंचायतों में सचिव और सरपंच के बीच समन्वय ठीक नहीं है। जिससे विकास पर राशि खर्च नहीं हो सकी। उदाहरण के तौर पर रीवा जनपद के खैरा ग्राम पंचायत में तत्कालीन कलेक्टर ने पंचायत सचिव की लापरवाही पर सस्पेंड कर दूसरे पंचायत सचिव को नियुक्त करने का आदेश दिया था। लेकिन, जिम्मेदारों की मनमानी के चलते दागी सचिव आज भी पंचायत से नहीं हटाया गया। जिससे गांव का विकास प्रभावित है। खाते में लाखो रुपए विकास का डंप पड़े हैं।
केस-01
अजगरहा पंचायत में 33 लाख रुपए डंप
रीवा जनपद के अजगरहा ग्राम पंचायत अफसरो की नाक के नीचे है। इस पंचायत के खाते में 33 लाख रुपए से अधिक की राशि डंप पड़ी है। पंचायत सचिव समरजीत सिंह ने बताया, आचार संहिता लगी है, इस लिए काम बंद है। गांव में दो सडक़ और कई अन्य कार्य प्रस्तावित हैं।
केस-3
चौडिय़ार में विकास के 10.36 लाख बैंक में जमा
रीवा जनपद के चौडिय़ार गांव में बुनियादी सुविधाओं के लिए गांव तडफ़ड़ा रहा है। लेकिन, अफसरों की अनदेखी के चलते पंचायत के खाते में 10 लाख रुपए से अधिक की राशि डंप है। पंचायत में पंचपरमेश्वर के तहत कुल 33.74 लाख रुपए आए थे। जिसमें 18.51 लाख का दावा किया जा रहा है।
फैक्ट फाइल
जनपद पंचायत जारी राशि डंप राशि
रीवा 12.70 7.20
त्योंथर 11.86 8.74
गंगेव 11.99 6.98
जवा 11.40 7.57
हनुमना 12.73 5.00
मऊगंज 8.42 4.07
नईगढ़ी 8.34 3.02
रायपुर कर्चुलियान 12.74 7.20
सिरमौर 13.42 8.72
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कुल 103.62 84.77
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