scriptजिला अदालत ने वीडियो कॉन्फेंसिंग से सुना पहला मामला | District court heard the first case through video conferencing | Patrika News

जिला अदालत ने वीडियो कॉन्फेंसिंग से सुना पहला मामला

locationरीवाPublished: Apr 17, 2020 11:48:07 pm

Submitted by:

Mahesh Singh

जज, आरोपी के वकील और अभियोजन अधिकारी मोबाइल फोन से जुड़े

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रीवा. राज्य की न्यायपालिका में शुक्रवार को नये अध्याय का सूत्रपात हुआ। पहली बार जिला अदालत ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए विचाराधीन मामले की सुनवाई की। वीडियो कांफ्रेंसिंग में हिस्सा लेने वाले जज, आरोपी के वकील और अभियोजन अधिकारी अपने-अपने कार्यालय से ही अपना पक्ष रखा।
एप से डीजे को भेजा आवेदन
स्टेट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष शिवेंद्र उपाध्याय ने बताया कि उनके एक पक्षकार के खिलाफ रीवा जिले के सिरमौर सत्र न्यायालय में हत्या का मामला विचाराधीन है। इसी मामले में अपने पक्षकारों का मेडिकल कराने के लिए उन्हें आवेदन देना था। बीते गुरुवार को हाइकोर्ट की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई किये जाने का आदेश दिए जाने के बाद उन्होंने इसके तारतम्य में रीवा जिला एवं सत्र न्यायाधीश को फोन कर आवेदन की सुनवाई करने का आग्रह किया। उनके व्हाट्सएप नम्बर पर इसके लिए विधिवत आवेदन भेजा गया। ई-मेल आईडी पर आवेदन की पीडीएफ कॉपी भी भेजी गई। डीजे ने आवेदन मंजूर कर इसे सम्बंधित न्यायाधीश के पास भेजा। वहां से सूचना दी गई कि आवेदन मंजूर हो गया है।
मुख्य सर्वर से हुए कनेक्ट
आवेदन मंजूर होने के तुरंत बाद एड. उपाध्याय को रीवा जिला अदालत के मुख्य सर्वर से सूचना दी गई कि शुक्रवार को 4 बजे उनके मामले की सुनवाई होगी। वे तैयार रहें। उपाध्याय ने बताया कि ठीक 4 बजे उन्हें फोन के जरिये वीसी से कनेक्ट कर दिया गया।
बनाए रखी सोशल डिस्टेंसिंग
दूसरी ओर सिरमौर के न्यायाधीश, सरकारी वकील और आरोपी सहित पुलिसकर्मी अदालत में मौजूद थे। सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दूर-दूर खड़े थे। उपाध्याय ने फोन के जरिए ही अपने मामले में बहस की।
जिला सत्र न्यायाधीश ने की मॉनीटरिंग
वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए की गई सुनवाई की जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरूण कुमार सिंह ने मॉनीटिरिंग की। डीजे भी वीसी से जुड़ें और पूरी कार्रवाई की मॉनीटरिंग करते नजर आए। उन्होंने बताया कि बिना किसी बाधा के मामले में सुनवाई की गई।
अदालतों का काम होगा सरल
उपाध्याय ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि सुनवाई का ये तरीका सामान्य दिनों में खासा प्रभावी साबित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार इस तरीके से लम्बित मामलों में गवाहों के बयान भी लिए जा सकते हैं।
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