जिले में खाद्यान्न घोटाले का मामला एक बार फिर सामने आया है। इस बार जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक शहर के ४५ वार्ड के उचित मूल्य के विक्रेताओं से मिलकर काम कर रहे थे। आरोप है कि हर माह बीस हजार अपात्र लोगों के हिस्से का अनाज खुले बाजार में बेच रहे थे। मामले में शिकायत के आधार पर इओडब्ल्यू ने प्रारंभिक जांच प्रारंभ कर दी है। इसकी सूचना से विभागीय अधिकारियों में खलबली मची है। कार्यालय सूत्रों के अनुसार मोटी रकम देकर रीवा जिले का चार्ज लेकर आए थे। पड़ोसी जिले के सतना में रहने वाले बालेन्द्र शुक्ला की लंबी साठ-गांठ चल रही थी। शिकायत के बाद शासन ने रीवा से सिंगरौली के लिए स्थानांतरित कर दिया है।
जांच अधिकारियों को बताया गया है कि गत वर्ष बीपीएल सहित अन्य श्रेणी के लाभार्थियों को मिलने वाले राशन में हर माह सरकार के खजाने को ५ करोड़ रुपए की चपत लगाई गई है। हजारों अपात्र श्रेणी के लोगों का नाम बाहर किए जाने के बाद भी राशन का आवंटन जारी होता रहा। खाद्यान्न का वितरण नहीं किया गया। तत्कालीन नियंत्रक की मनमानी के चलते हजारों अपात्रों के हिस्से का खाद्यान्न शासकीय राशन दुकानों पर जारी होता रहा। सांठ-गांठ से अब तक ५० करोड़ रुपए का खाद्यान्न का नुकसान किया गया है। शिकायतकर्ता ने कार्रवाई की मांग की है।
कलेक्ट्रेट के नए भवन में तत्कालीन नियंत्रक बालेन्द्र शुक्ल कार्यालय ज्वाइन करते ही शहरी क्षेत्र के कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी रामसुफल के से एसी लगावाए, बताया गया कि जैसे ही स्थानांतरण हुआ कि साथ में एसी भी निकाल ले गए। इतना ही नहीं कई दिनों तक नए नियंत्रक को कुर्सी पर बैठने की जगह तक नहीं मिली।