चिकित्सा शिक्षा विभाग की नई व्यवस्था
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पहले निजी प्रक्टिस पर रोक लगाने की तैयारी की थी, लेकिन डॉक्टरों के दबाव में शासन ने संशोधित आदेश जारी कर दिया है। मेडिकल कॉलेज रीवा के डीन डॉ पीसी द्विवेदी ने शनिवार को मेडिकल कॉलेज से संबंधित विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर चिकित्सा शिक्षा विभाग की नई व्यवस्था बनाने का निर्देश दिया है। डीन ने इंदौर जिले में हुई घटना का जिक्र करते हुए डीन ने अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज निजी अस्पताल में करने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। सभी विभागाध्यक्षों को व्यवस्था बनाने का आदेश जारी कर दिया है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पहले निजी प्रक्टिस पर रोक लगाने की तैयारी की थी, लेकिन डॉक्टरों के दबाव में शासन ने संशोधित आदेश जारी कर दिया है। मेडिकल कॉलेज रीवा के डीन डॉ पीसी द्विवेदी ने शनिवार को मेडिकल कॉलेज से संबंधित विभागाध्यक्षों को पत्र जारी कर चिकित्सा शिक्षा विभाग की नई व्यवस्था बनाने का निर्देश दिया है। डीन ने इंदौर जिले में हुई घटना का जिक्र करते हुए डीन ने अस्पताल में आने वाले मरीजों का इलाज निजी अस्पताल में करने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। सभी विभागाध्यक्षों को व्यवस्था बनाने का आदेश जारी कर दिया है।
60 से अधिक डॉक्टर रोजाना कर रहे प्रैक्टिस
बताया गया कि गांधी मेमोरियल और एसजीएमएच के 60 से अधिक डॉक्टर ऐसे हैं, जो रोजाना निजी अस्पतालों में मरीज देखने और आपरेशन करने जाते हैं। कुछ ऐसे भी हैं तो 40 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए से अधिक प्रति माह कमा रहे हैं।
बताया गया कि गांधी मेमोरियल और एसजीएमएच के 60 से अधिक डॉक्टर ऐसे हैं, जो रोजाना निजी अस्पतालों में मरीज देखने और आपरेशन करने जाते हैं। कुछ ऐसे भी हैं तो 40 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए से अधिक प्रति माह कमा रहे हैं।
हॉस्पिटल के वार्ड तक दलाल सक्रिय
संजय गांधी हॉस्पिटल में निजी एम्बुलेंस संचालक और शहर के निजी अस्पतालों के दलाल विभिन्न विभागों के वार्ड तक सक्रिय हंै। मरीज की हालत गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें रेफर कर देते हैं। वार्ड से ही दलाल मरीजों को उसी अस्पताल में ले जाते हैं जहां संजय गांधी अस्प्ताल का संबंधित डॉक्टर मरीजों को देखने के लिए जाते हैं। हैरान करने वाली बात तो यह कि परिसर में पूरे दिन 40 से अधिक एम्बुलेंस मौजूद रहते हैं।
संजय गांधी हॉस्पिटल में निजी एम्बुलेंस संचालक और शहर के निजी अस्पतालों के दलाल विभिन्न विभागों के वार्ड तक सक्रिय हंै। मरीज की हालत गंभीर होने पर डॉक्टर उन्हें रेफर कर देते हैं। वार्ड से ही दलाल मरीजों को उसी अस्पताल में ले जाते हैं जहां संजय गांधी अस्प्ताल का संबंधित डॉक्टर मरीजों को देखने के लिए जाते हैं। हैरान करने वाली बात तो यह कि परिसर में पूरे दिन 40 से अधिक एम्बुलेंस मौजूद रहते हैं।
1400 से अधिक मरीजों की ओपीडी
एसजीएमच की ओपीडी में 1400 से अधिक मरीजों की भीड़ जमा हो रही है। ज्यादातर मरीजों को बाहर इलाज का सलाह दिया जाता है। यही करण है कि ओपीडी में सीनियर डॉक्टर अक्सर गायब रहते हैं। बताया गया कि सैकड़ो मरीजों को प्रतिदिन निजी अस्पताल भेजा जा रहा है। जूनियर डॉक्टरों के भरोसे व्यवस्था चल रही है। कभी-कभी मरीजों की भीड़ 2400 से अधिक हो जाती है।
एसजीएमच की ओपीडी में 1400 से अधिक मरीजों की भीड़ जमा हो रही है। ज्यादातर मरीजों को बाहर इलाज का सलाह दिया जाता है। यही करण है कि ओपीडी में सीनियर डॉक्टर अक्सर गायब रहते हैं। बताया गया कि सैकड़ो मरीजों को प्रतिदिन निजी अस्पताल भेजा जा रहा है। जूनियर डॉक्टरों के भरोसे व्यवस्था चल रही है। कभी-कभी मरीजों की भीड़ 2400 से अधिक हो जाती है।
जांच के लिए भेज रहे निजी पैथालॉजी
एसजीएमएच और जीएमएच में ज्यादातर चिकित्सक अस्पताल में हो रही जांच पर भरोसा नहीं करते हैं। मरीजों को निजी पैथालॉजी की जांच कराने की सालाह देते हैं। इतना हीं कई चिकित्सक को निजी पैथालॉजी, सोनोग्राफी सेंटर तक संचालित करा रहे हैं। बिना अनुमति हॉस्टिपल से लेकर निजी पैथालॉजी पर प्राक्टिस कर रहे हैं।
एसजीएमएच और जीएमएच में ज्यादातर चिकित्सक अस्पताल में हो रही जांच पर भरोसा नहीं करते हैं। मरीजों को निजी पैथालॉजी की जांच कराने की सालाह देते हैं। इतना हीं कई चिकित्सक को निजी पैथालॉजी, सोनोग्राफी सेंटर तक संचालित करा रहे हैं। बिना अनुमति हॉस्टिपल से लेकर निजी पैथालॉजी पर प्राक्टिस कर रहे हैं।
वर्जन…
चिकित्सा शिक्षा विभाग की गाइड लाइन पर व्यवस्था बनाने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी किया गया है। अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों का इलाज यदि करते कोई डॉक्टर पाया गया तो संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. पीसी द्विवेदी, डीन, श्याम शाह मेडिकल कालेज रीवा
चिकित्सा शिक्षा विभाग की गाइड लाइन पर व्यवस्था बनाने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी किया गया है। अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों का इलाज यदि करते कोई डॉक्टर पाया गया तो संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. पीसी द्विवेदी, डीन, श्याम शाह मेडिकल कालेज रीवा