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इको पार्क का प्रोजेक्ट सरकार ने किया निरस्त, शहर में तबाही की जताई गई थी आशंका

locationरीवाPublished: Mar 27, 2019 12:40:46 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– पीपीपी मॉडल पर बीहर नदी के टापू पर किया जा रहा था विकसित- स्वरूप बदलने के प्रयास पर की गई शिकायत के बाद हुई कार्रवाई

rewa

eco park in beehar river at rewa, govt decided project closed

रीवा। शहर के बीहर नदी में स्थित टापू और आसपास के क्षेत्र में इको पार्क के लिए स्वीकृत प्रोजेक्ट को सरकार ने निरस्त कर दिया है। लंबे समय से यह प्रोजेक्ट विवादों में घिरा रहा है, पूर्व में इस पर कई सवाल उठाए जा चुके हैं। भाजपा सरकार इसे महत्वाकांछी प्रोजेक्ट बताती रही है और सभी शिकायतों को नजरंदाज किया जाता रहा है।
प्रदेश में नई सरकार गठन के बाद से फिर इसमें हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगे और जांच की मांग उठाई गई थी। आखिरकार इको टूरिज्म बोर्ड ने इस प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया है। इस प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत १९ करोड़ रुपए थी, लेकिन 19 अगस्त 2016 को शहर में आई बाढ़ के चलते इको पार्क के लिए बनाए जा रहे झूला पुल के साथ ही अन्य निर्माण भी पानी के तेज बहाव में बह गए। उस दौरान भी आरोप लगे थे कि इसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है आगे भी शहर में बाढ़ का खतरा रहेगा। इसलिए प्रोजेक्ट ही निरस्त किया जाए। इस दौरान सरकार ने इन मांगों को अनसुना कर दिया था।
इतना ही नहीं प्रोजेक्ट का निर्माण करा रही इंदौर की रुची रियलिटी होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार के मंत्री ने कैबिनेट में मामला रखा था, हालांकि वन विभाग और टूरिज्म बोर्ड के अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद इसका मुआवजा रोक दिया था। कई वर्षों तक बाढ़ से तबाह हुए प्रोजेक्ट का कार्य बंद रहा, कुछ समय पहले ही यहां पर एक बार फिर शुरुआत की गई थी।
30 वर्ष के लिए था प्रोजेक्ट
बीहर नदी के टापू पर बनाए जा रहे इको पार्क का प्रोजेक्ट 30 वर्ष के लिए स्वीकृत किया गया था। इसका भूमि पूजन वर्ष 2013 में हुआ था। दो वर्ष में इसका निर्माण पूरा किया जाना था, बाद में एक वर्ष के लिए अवधि और बढ़ाई गई थी। कंपनी ने शुरुआत से ही मनमानी निर्माण कराया था। राजनीतिक लोगों के संरक्षण के चलते ही नुकसान का मुआवजा देने की तैयारी थी। 5 जुलाई 2017 से दो वर्ष के लिए निर्माण पूरा करने का समय दिया गया था। शर्त रखी गई थी कि संशोधित डिजाइन का एप्रूवल भी स्टेट मानीटिरिंग कमेटी से लेना होगा लेकिन कंपनी ने बिना एप्रूवल ही कार्य प्रारंभ कर दिया।
इको पार्क में देने थी इस तरह की सुविधाएं
राजस्व और वन भूमि के साथ ही निजी स्वत्व की 5.783 हेक्टेयर भूमि पर इको पार्क का निर्माण किया जाना था। इसमें उन्नत विक्रम पुल के पास स्थित पुराना आरटीओ भवन का हिस्सा भी शामिल करना था। पार्क में कैफेटेरिया, एडवेंचर गेम स्पाट, वाटर स्पोर्ट, नेचर इंटरप्रेटेशन सेंटर, मोटल, हर्बल प्लांट बिक्री केन्द्र, पंचकर्म, किड्स जोन, रेस्टोरेंट, मनोरंजन स्थल आदि की व्यवस्थाएं देने की योजना थी। दोबारा शुरू हुए निर्माण में बारातघर एवं अन्य व्यवसायिक गतिविधियां संचालित करने की योजना ठेका कंपनी बना रही थी।
कांग्रेस शहर अध्यक्ष ने दर्ज कराई थी शिकायत
भाजपा सरकार के काल में शहर में कई बड़े प्रोजेक्ट स्वीकृत किए गए थे। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू ने इसकी शिकायत सीएम एवं प्रभारी मंत्री से की थी। उनका आरोप था कि कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम को कलाकेन्द्र के रूप में विकसित करने का वादा किया गया और बाद में बारातघर बना दिया गया। इसी तरह इको पार्क में भी स्वरूप बदलने की तैयारी के साथ ही अन्य भ्रष्टाचार की आशंका जताई थी। प्रोजेक्ट भी समय पर पूरा नहीं हो पा रहा था, इसलिए कार्रवाई की मांग की गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष मंगू ने कहा है कि वह भी चाहते हैं कि शहर में बेहतर इको पार्क बनाया जाए लेकिन चिन्हत लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से शहर में बाढ़ को बुलावा दिया जा रहा था। उन्होंने कहा है कि नए सिरे से प्रोजेक्ट तैयार करने की मांग करेंगे।
ठेकेदार के लिए दस दिन रोक दिया था पानी
बीहर नदी के पानी की सप्लाई शहर में होती है। कुछ दिन पहले ही ठेकेदार को निर्माण कराने के लिए बीहर नदी का पानी बंद कर दिया गया था। नदी में बाणसागर बांध का पानी आता है। दस दिन तक शहर में पानी के लिए हाहाकार मचा रहा, पांच पॉवर प्लांट भी बंद रहे जिससे करीब दस करोड़ रुपए से अधिक की बिजली उत्पादन का नुकसान हुआ। ठेकेदार के राजनीतिक प्रभाव की वजह से इसके पहले भी लाभ पहुंचाने का प्रयास अधिकारियों ने किया था।
तीन विभागों द्वारा तैयार किया जा रहा था प्रोजेक्ट
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप(पीपीपी) माडल पर इको पार्क प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा था। जिसमें वन विभाग और नगर निगम की भूमि थी। कुछ हिस्सा प्राइवेट भूमि का अधिग्रहित किया गया था। प्रोजेक्ट में इको टूरिज्म बोर्ड की भी सहभागिता थी। ठेकेदार को निर्माण कराने और उसका ३० वर्ष तक रखरखाव कराने के साथ ही प्रवेश एवं अन्य शुल्क वसूलने की अनुमति दी गई थी।
पीपीपी मॉडल पर तैयार हो रहे प्रोजेक्ट में हमारी भी भूमि थी, इसलिए सुपरवीजन का दायित्व मिला था। पूरा कार्य इको टूरिज्म बोर्ड और ठेकेदार के बीच चल रहा था। प्रोजेक्ट की स्वीकृति निरस्त हो गई है, आगे के लिए निर्देश आना बाकी है।
विपिन पटेल, डीएफओ रीवा

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