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इको पार्क के लिए नई कार्ययोजना तैयार करने पर नगर निगम प्रशासन सवालों के घेरे में

locationरीवाPublished: Oct 23, 2020 09:22:40 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– इको पार्क के लिए अपने हिस्से की भूमि नगर निगम पहले ही इको टूरिज्म बोर्ड को कर चुका है हस्तांतरित

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रीवा। शहर के मध्य बीहर नदी के किनारे प्रस्तावित इको पार्क को लेकर अब सवाल उठाए जा रहे हैं कि जिस भूमि को नगर निगम पहले ही दूसरे विभाग को दे चुका है, उस पर भूमि वापस किए बिना कैसे योजना बना सकता है। एक दिन पहले ही जिला प्रशासन की टीम ने इको पार्क के लिए प्रस्तावित भूमि का निरीक्षण किया था। पूर्व में सरकार ने ही इस प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया था लेकिन नए सिरे से अब तक उसकी बहाली को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। मामला कोर्ट में भी है इसलिए वहां का फैसला आने से पहले कोई आदेश भी जारी नहीं किया जा सकता। इसके पहले भी प्रोजेक्ट में कुछ संशोधन किया गया था लेकिन उसका एप्रूवल सरकार से नहीं लिया गया था। अब प्रशासन की ओर से कहा गया है कि बीहर नदी के किनारे और टापू के हिस्से में रीवा लेजर नाम की कंपनी द्वारा २५ करोड़ रुपए की लागत से स्ववित्तीय योजना के तहत निर्माण प्रारंभ किया गया है। जबकि पूर्व में यह प्रोजेक्ट इंदौर की रुचि रियलिटी नाम की कंपनी को आवंटित हुआ है और उसका कार्य निरस्त होने की वजह से कंपनी कोर्ट भी गई है। नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा ने सवाल उठाते हुए कहा है कि नगर निगम ने अपने हिस्से की भूमि को पीपीपी आधारित प्रोजेक्ट के लिए बिना किसी शर्त के पहले ही आवंटित कर दी है। इसलिए पहले भूमि निगम के स्वामित्व में आए इसके बाद ही स्ववित्तीय योजना बनाई जानी चाहिए। मिश्रा ने कहा है कि स्थानीय विधायक यदि विकास कार्य कराना चाहते हैं तो पहले उसकी प्रक्रिया को पारदर्शी बनवाएं। वहीं नगर निगम के आयुक्त मृणाल मीना का कहना है कि अभी इको पार्क को लेकर नए सिरे से कोई कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। वहीं जिला प्रशासन की ओर से जारी खबर के अनुसार यहां पर 25 करोड़ रुपए लागत से स्ववित्तीय योजना तैयार की गई है।
– शासन को नहीं भेजी गई जांच रिपोर्ट
इको पार्क के प्रोजेक्ट में नगर निगम की भूमि दिए जाने के बाद किसी तरह से लाभ की शर्त नहीं रखे जाने की शिकायत पूर्व में कांग्रेस पार्षद दल की ओर से की गई थी। इस पर शासन ने नगर निगम से संबंधित मामले में रिपोर्ट भी मांगी थी। करीब सात महीने से अधिक का समय पूरा हो गया लेकिन अब तक रिपोर्ट निगम की ओर से नहीं भेजी गई है। जबकि इसे दो सप्ताह में ही भेजना था।
– डूब प्रभावित क्षेत्र का भी रखा जाए ख्याल
इको पार्क क्षेत्र से लगे वार्ड छह के पार्षद रहे धनेन्द्र सिंह बघेल ने कहा है कि चार साल पहले यहां पर बाढ़ की वजह से इको पार्क का झूला बह गया है और करीब तीन करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान संबंधित कंपनी को भी हुआ है। इसलिए उसी स्थान पर फिर से कार्य कराया जाना खतरों से भरा हुआ है, दोबारा कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए जिला प्रशासन और नगर निगम यदि कोई भी प्रोजेक्ट लागू करता है तो सबसे पहले बाढ़ की आशंकाओं को ध्यान में रखना होगा।
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