गुरुवार को शाम करीब चार बजे स्कूल में महज दो कक्षाएं लगी हुई थी। जिसमें एक 9वीं की कक्षा लगी थी। उस कक्षा में महज 25 बच्चे ही उपस्थित थे। इसके अलावा सभी कक्षाएं खाली थी। स्कूल में कुछ शिक्षक इधर – उधर घूम रहे थे। जबकि, कुछ शिक्षक समय से पहले स्कूल से चले गए। प्राचार्य राजेन्द्र द्विवेदी बैठकर आराम फरमा रहे थे।
स्कूल में 20 शिक्षको की पदस्थापना है। 9 वीं कक्षा में 167, 10वीं में 76, 11वीं में 114 एवं 12वीं में 138 छात्र पंजीकृत हैं। इस प्रकार 495 छात्रों के बीच 20 टीचर की पदस्थापना है। यहां शिक्षकों की पर्याप्त पदस्थापना है। 25 बच्चों के बीच एक शिक्षक पदस्थ है। इसके बावजूद पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक दो का भी यही हाल है। क्रमांक एक के ठीक बाजू में क्रमांक दो विद्यालय है। यहां भी शाम चार बजे सन्नाटा पसरा रहा। एक भी छात्र – छात्राएं नहीं रहे।
जहां पानी पीते हैं बच्चे वहां गंदगी
शहर का प्रमुख विद्यालय होने के बावजूद साफ – सफाई का ख्याल नहीं रखा जाता। जहां बच्च्चों को पानी पीने की व्यवस्था की गई है वहां गंदगी है। उसे कई महीनों से साफ नहीं किया गया। पान – तंबाकू की पीक मार दी गई है। जिससे वह गंदा है। बच्चे यहां से पीने के लिए पानी ले जाते हैं।
मेडिकल कॉलेज की मिट्टी डाल रहे
स्कूल के सामने मिट्टी डाली गई है लेकिन उसे समतल नहीं किया गया है। जिससे उबड़ – खाबड़ है। बच्चों एवं शिक्षकों को वहां चलने में भी दिक्कत होती है। यहां मेडिकल कॉलेज के निर्माण से जो मिट्टी निकल रही है उसे स्कूल के सामने डाला जा रहा है। लेकिन, उसे समतल नहीं किया जा रहा। जिसकी वजह से यह दिक्कत हो रही है।