वहीं 28 फीसदी बच्चे डिवीजन स्तर के हैं। मिड लाइन टेस्ट को लेकर जो प्रदेश स्तर में रैकिंग जारी हुई है इसमें सतना प्रदेश में 36वें स्थान पर है। वहीं रीवा 38वें नम्बर पर हैं तो सीधी जहां 47वें स्थान पर वहीं सिंगरौली 50वें स्थान में है। बताया जा रहा है कक्षा 6 से 8वीं तक बेस लाइन परिणाम को देखते हुए जिला दक्षता उन्नयन कार्यक्रम चलाया गया है।
इसके चलते विद्यालयों में बीआरसी सीएससी, सहित शिक्षकों को लेंसन प्लान, अभ्यास वर्ग और प्रशिक्षण दिया गया। इसके बावजूद छह महीनें में जो परिणाम मिड लाइन टेस्ट में आए है वह निराशाजनक है। स्थिति है कि सिर्फ 28 फीसदी बच्चे ही डिवीजन स्तर के है। वहीं 40 फीसदी बच्चे किताबें पढ़ सकते है। ऐसे में जिले में औसत सिर्फ ३४ फीसदी बच्चें ही वास्तविक रूप के कक्षा 6 व 8वीं तक पढऩे काबिल हैं।
जिला शैक्षिणक गुणवत्ता उन्नयन का फ्लाप शो प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में शिक्षा की मानीटरिंग के लिए जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शैक्षिणक गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम संचालित किया गया है। इसमें स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता की मॉनीटरिंग के लिए पानी की तरह पैसा बहाया गया। इसके बावजूद जो परिणाम आए वे शैक्षिणक गुणवत्ता की पोल खोल दी है।
मिड लाइन टेस्ट में अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं आए हैं। इन परिणामों को ेदेखने के बाद रिव्यु बैठक कर शिक्षकों को गंभीरता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही जिनका परिणाम कम है उनके विरुद्ध कार्रवाई भी की जाएगी।
सुधीर बांडा, डीपीसी
सुधीर बांडा, डीपीसी