आखिरी बार नहीं देख पाए बेटे का चेहरा
मृतक युवक के पिता ने बताया है कि 3 अगस्त को 22 साल के बेटे को रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया था। बेटे को आईसीयू में एडमिट किया गया था जहां से उसे कोविड सेंटर रेफर में भर्ती कर दिया गया था। बेटे को एडमिट करने के बाद तीन-चार दिनों तक डॉक्टर्स ने बेटे के स्वास्थ्य के बारे में बार-बार पूछने पर भी कोई जानकारी नहीं दी। बाद में अचानक उसकी मौत की बात कही और मर्चुरी में शव की शिनाख्त करने के लिए कहा। जिस बैग पर युवक के नाम का टैग लगा था जब युवक के पिता ने उसे खोलकर देखा तो उनकी आंखे फटी की फटी रख गईं। बैग में बेटे की जगह किसी बुजुर्ग की लाश थी। घटना से नाराज मृतक के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। बाद में सीएमएचओ ने उन्हें जानकारी दी कि उनके बेटे का अंतिम संस्कार किया गया है।
लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर को किया सस्पेंड
परिजन के हंगामे के बाद जब बात मीडिया तक पहुंची तो स्वास्थ्य विभाग को अपनी लापरवाही का एहसास हुआ। घटना की जानकारी मिलते ही रीवा डिविजन के कमिश्नर ने अस्पताल के डॉक्टर राकेश पटेल को निलंबित कर दिया है और मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का कोई ये पहला मामला नहीं है बीते दिनों ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की कलई खोल दी है।