बस परिचालक, चालक व खलासी अलग-अलग टेबल पर बैठक कर भोजन कर रहे थे। सभी यात्री भी चाय-नास्ते में व्यस्त हो गए। इस बीच ख्याल आया कि क्यों ना सब को मंजिल तक पहुंचाने वाले बस ड्राइवर और परिचालक के नजर से लोकतंत्र के इस महापर्व को देखा जाए। पत्रिका फेसबुक लाइव के जरिए जैसे ही परिचालक अतुल से सवाल दागा कि लोकसभा चुनाव को आप कैसा देखते हैं। जवाब सुनकर ऐसा लगा कि लोकतंत्र के इस महापर्व में शत-प्रतिशत की सहभागिता अभी दूर की कौड़ी है।
परिचालक बोला, 10 साल से चुनाव के दौरान ड्यूटी पर रहता हूं। इसलिए वोट नहीं डाल पाता हूं। फौजियों की तरह हमारे लिए भी पोस्टल वोट की सुविधा हो। तभी बगल की टेबल पर भोजन कर रहे चालक काशी प्रसाद बोले पड़े कि 36 साल से ड्राइवरी कर रहा हूं। हम लोकतंत्र के महापर्व में शामिल नहीं हो पाते हैं। हम लोग कैसें डाले वोट, चुनाव के समय स्टेयरिंग पर ही समय बीत जाता है। काशी प्रसाद ने कहा हमारे जैसे रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली में तीस हजार से ज्यादा चालक-परिचालक होंगे। जिनका चुनाव सफर में ही बीत जाता है।
लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग स्वीप प्लान कार्यक्रम के तहत विविध कार्यक्रम कर वोटरों को जागरुक किया जा रहा है। लेकिन, वाहन चालकों और परिचालकों के लिए स्वीप प्लान जैसे कार्यक्रम बेमानी हैं। कुछ को छोड़ दें तो ज्यादार चालक, परिचालक और खलासी सहित सफर कर रहे लोग वोट डालने से वंचित रह जाते हैं। अगर मान लिया जाए कि संभाग में दस हजार से ज्यादा वाहन हैं और प्रति बस में तीन कर्मचारी का औसत लिया जाए तो रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली सहित विंध्य में तीस हजार से ज्यादा ड्राइवर, परिचालक और खलासी शत-प्रतिशत वोट में सहभागिता नहीं कर पाते हैं।
शुक्रवार को अपरान्ह 11.10 बजे चिलचिलाती धूप में गंगेव में स्थित अनसुइया ढाबे से जैसे ही बस रीवा की ओर बढ़ी कि सफर के दौरान खिडक़ी के बाहर लू के थपेड़े और अंदर दमघोटू जैसे माहौल में पारा 40 से अधिक रहा। इस बीच यात्रियों के बीच आपस में सियासत का पारा भी चढ़ा रहा। पत्रिका फेसबुक लाइव पर कई यात्रियों ने अपनी बात को शेयर किया।