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Elections-2019: चुनाव जीतने के बाद गांव में नहीं दिखते नेता, बीस साल से पिता के मृत्यु प्रमण-पत्र में अटकी मां की पेंशन

locationरीवाPublished: Apr 07, 2019 07:11:31 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

लोकसभा चुनाव-2019: पत्रिका फेसबुक लाइव…मुद्दा क्या है, पत्रिका फेसबुक लाइव के दौरान चाय-पान की दुकान पर दूर-दूर से आए लोगों ने बेबाक रखे मुद्दे, कहा…

Elections-2019: Rewa did not develop in the Parliament

Elections-2019: Rewa did not develop in the Parliament

रीवा. लोकसभा चुनाव में रीवा संसदीय क्षेत्र के लिए नामांकन 10 अप्रैल से शुरू हो रहा है। मौसम के साथ ही सियासत का पारा भी 40 डिग्री के पार है। इस बीच पत्रिका अभियान ‘मुद्दा क्या है’ के तहत फेसबुक लाइव के जरिए मुद्दे जानने की कोशिश की तो लोगों ने बेबाक अपनी राय रखी। कहा- चुनाव जीतने के बाद नेता गांव में नहीं दिखते, प्रतिनिधि जनता की आवाज सदन में नहीं उठाते, किसानों की खाद-बीज और युवाओं को रोजगार जैसी समस्याएं चुनावी शोरगुल में दब गई हैं।
लोकसभा चुनाव-2019 में मुद्दा क्या …बोल पड़े मेरे बचपन में ही पिता इस दुनिया से चल गए
कमिश्नरी कार्यालय के सामने दोपहर 1.20 बजे चिलचिलाती धूप में यादव की चाय-पान की दुकान पर दूर-दूर से आए लोग चाय- नास्ते में मशगूल रहे। इस बीच पत्रिका ने जैसे ही लोकसभा चुनाव-2019 में मुद्दा क्या है की चर्चा छेड़ी तो राजेन्द्र प्रसाद यादव ऊर्फ मोलई गुस्से में बोल पड़े कि इस बार चुनाव में सिर्फ मां की पेंशन का मुद्दा है। मोलई चुनावी मुद्दे के नाम पर तममता गए। बोले इस बार परिवर्तन होकर रहेगा। मोलई ने कहा, मेरे बचपन में ही पिता इस दुनिया से चल गए। मृतक प्रमण-पत्र नहीं बनने के कारण मेरी मां को पेंशन नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा, मेरी बेटी पूजा हाथ और घुंटने के सहारे चलती है। बिटिया दिव्यांग हैं, डॉक्टर विकलांग प्रमाण-पत्र नहीं बना रहे। वहीं बैठे आनंद तिवारी ने एससी-एसटी आरक्षण का मुद्दा उठाया। इस अवसर पर शिवकुमार, रामबहोर, कैलाश, शिवमूरत सिंह, रघुवनंदन तिवारी सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे और बेरोजगारी सहित अन्य मुद्दे उठाए।
रोजगार के लिए जाना पड़ता है सूरत और मुबंई
अमवा के जयपाल पटेल ने कहा सबसे बड़ा मुद्दा तो बेरोजगारी है। मेरा बेटा पढ़ाई-लिखाई करने के बाद रोजगार के लिए भटक रहा है। कभी सूरत तो कभी मुबई जाना पड़ता है। बगल में बैठे युवा सुनील बोल पड़े बीएससी की पढ़ाई करने के बाद पंद्रह हजार की नौकरी के लिए बाहर जाना पड़ता है। वहीं मकसूदन यादव ने कहा रीवा में रोजगार के साधन नहीं हैं। नेता चुनाव जीतने के बाद गांव में नहीं आते हैं। आज तक नेताओं ने कंपनियां स्थापित नहीं करायी। जो कंपनियां हैं भी उनमें रोजगार नहीं दिया जा रहा है।
किसानों ने पानी और खाद-बीज का मामला उठाया
लोसभा चुनाव में मुद्दे के बारे में शिवराज बहादुर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि किसानों के लिए सरकार योजनाएं तो चला रही है लेकिन, जमीन पर नहीं दिख रही है। बाणसागर के पानी का दुरूपयोग किया जा रहा है। ज्यादातर माइनर लीक हैं, टेल तक पानी नहीं पहुंचने से किसानों के खेत में पानी नहीं पहुंच रहा है। भीषण गर्मी में पेयजल का संकट भी खड़ा हो गया है। नेताओं ने पेयजल के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। चेहते लोगों को टैंकर बांट कर कमीशन खाए। पड़ोस में बैठे राम रहीम पाल ने कहा किसानों की फसल खराब होने पर मुआवजा तक नहीं दिया जाता है। बाजार में नकली खाद-बीज बिक रही है। कोई ध्यान देने वाला नहीं है। इस प्रकार लोग सरकार के प्रति काफी नाराज दिखे।
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