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दस वर्षों में 39 हजार को मिला रोजगार, सरकार का पीपीपी मॉडल भी फ्लाप

locationरीवाPublished: Sep 27, 2022 11:39:54 am

Submitted by:

Mrigendra Singh

– रोजगार कार्यालय के माध्यम से केवल एक सरकारी नौकरी दस वर्ष में, बेरोजगारों की संख्या प्रदेश में तीसरे नंबर पर

Rewa

employment in madhya pradesh 10 year


मृगेन्द्र सिंह, रीवा। बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोडऩे के लिए सरकार ने विभाग ही अलग बना रखा है लेकिन यह युवाओं की अपेक्षा पर खरा नहीं उतर पा रहा है। रीवा सहित प्रदेश के 15 जिलों में सरकार ने रोजगार कार्यालयों को बंद कर पीपीपी मॉडल पर प्लेसमेंट सेंटर खोला लेकिन वह भी निर्धारित शर्तों के अनुसार काम नहीं कर पाए।
बीते दस वर्षों के अंतराल में रोजगार कार्यालय और प्लेसमेंट सेंटर द्वारा उपलब्ध कराए गए रोजगार के आंकड़े युवाओं को मायूष करने वाले हैं। हर साल बड़ी संख्या में युवा सरकार के इस उपक्रम से उम्मीद लगाए रहते हैं लेकिन उम्मीदें पूरी नहीं हो पा रही हैं।
रीवा में सरकार ने निजी संस्था को कार्यालय एवं अन्य संसाधन भी उपलब्ध कराए फिर भी जो शर्तें निर्धारित थीं उनको पूरा नहीं किया जा सका। बीते दस वर्षों के अंतराल में रोजगार कार्यालय के माध्यम से केवल एक रोजगार ही दिया जा सका है। हालांकि दस वर्षों में जिले के 39 हजार युवाओं को प्राइवेट कंपनियों में नौकरियां दिलाने का दावा किया गया है। मतलब हर साल औसत चार हजार युवाओं को रोजगार मिला।
पीपीपी माडल पर शुरू किए गए प्लेसमेंट सेंटर की ओर से दावा किया गया था कि हर साल दस से 15 हजार की संख्या में रीवा जिले के युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। बेरोजगार पंजीकृत युवाओं की संख्या एक लाख के पार है, जबकि बड़ी संख्या में ऐसे हैं जिन्होंने पंजीयन ही नहीं कराया है।

काल सेंटर और स्किल ट्रेनिंग का भी हवा-हवाई
प्रदेश सरकार ने रीवा, सतना, सिंगरौली, सागर, भोपाल, ग्वालियर, होशंगाबाद, इंदौर, धार, खरगोन, उज्जैन, देवास, जबलपुर, कटनी, शहडोल आदि जिलों में पीपीपी माडल पर प्लेसमेंट सेंटर खोला है। इनमें शर्त थी कि दस से १५ हजार नौकरियां उपलब्ध कराएंगे। साथ ही काल सेंटर खोलकर टे्रड काउंसर नियुक्त करने और स्किल ट्रेनिंग के प्रोग्राम चलाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन रीवा में ऐसा कोई भी नहीं हुआ। यह भी कहा गया था कि उच्च वेतन पर भी नियुक्तियां कराई जाएंगी।
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दस वर्ष में रीवा में एक नौकरी
सरकारी नौकरियां तो रोजगार कार्यालय से अब पूरी तरह से समाप्त होने की स्थिति पर हैं। सरकारी विभाग प्राइवेट नौकरियां दिलवाने का कार्य कर रहा है। रीवा में बीते दस वर्ष के अंतराल में केवल एक सरकारी नौकरी मिली। वहीं संभाग के दूसरे जिलों सतना, सीधी, सिंगरौली में कोई भी नौकरी नहीं मिली है।

प्राइवेट कंपनियों की प्रताडऩा से लौट रहे युवा
बीते कुछ वर्षों के अंतराल में प्राइवेट कंपनियां रोजगार देने के लिए रोजगार मेले में आती हैं। यहां तो प्रलोभन काफी दिए जाते हैं और महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में रोजगार दिया जाता है। हर साल बड़ी संख्या में युवा वापस लौट रहे हैं और उनका कहना होता है कि कम पैसे में अधिक कार्य कराया जाता है और कंपनी द्वारा प्रताडि़त भी किया जाता है। कई मामले की शिकायत पुलिस से भी की गई है।
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दस वर्ष में रोजगार की स्थिति
जिला—-रोजगार की संख्या

रीवा—-39070
सतना—23287
सीधी—9609
सिंगरौली—8904
पन्ना—5821
शहडोल—15639
उमरिया—4068
अनूपपुर—896
कटनी—13377
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हर जाति वर्ग में बेरोजगार, रीवा प्रदेश में तीसरे नंबर पर
जिला—अनारक्षित—एससी—एसटी–ओबीसी– कुल
रीवा–61773—11876—4761—31086—-109496
सतना–52851—13164–2824–30626—-99465
सीधी–15527—2818—4656—9061—32062
सिंगरौली–10634–2712—4631—11296—29273
पन्ना—-10646—5970–1891—13170—-31677
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सरकारी नौकरियां पीईबी के माध्यम दी जा रही हैं। रोजगार कार्यालय की अब भूमिका नहीं है, इसलिए रीवा में संख्या एक है। प्राइवेट कंपनियों में नौकरियां मिल रही हैं। पीपीपी माडल पर चल रहे प्लेसमेंट सेंटर से जुड़ी जो शिकायतें आई हैं उनकी रिपोर्ट शासन को भेजी है।
अनिल दुबे, जिला रोजगार अधिकारी रीवा
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