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रीवा में कालेजों की भूमि में अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं, विस्तार के लिए स्थान की कमी

locationरीवाPublished: Oct 06, 2019 10:59:50 am

Submitted by:

Mrigendra Singh

– उच्च शिक्षा विभाग ने सभी कालेजों से कुल भूमि और अतिक्रमण के हिस्से की विस्तृत रिपोर्ट भेजने के लिए कहा- विश्वविद्यालय सहित कई कालेजों की भूमि पर है अवैध कब्जा, हटाने की नहीं हो रही कार्रवाई

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Encroachment of colleges land in Rewa, mp higher education

रीवा। कालेजों के लिए आवंटित की गई भूमि के बड़े हिस्से में अतिक्रमण हो गया है। इसके लिए विभाग की ओर से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। जिसकी वजह से कालेजों की भूमि पर कब्जा करने की प्रक्रिया लगातार बढ़ती जा रही है। अब संस्थाओं के विस्तार के लिए सरकार की योजनाएं आ रही हैं लेकिन स्थान के अभाव के चलते उन्हें लागू नहीं किया जा रहा है।
पूर्व में कई स्थानों की शिकायतें की गई थी, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस तरह के मामले केवल रीवा जिले तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अन्य जिलों से भी शिकायतें सरकार तक पहुंच रही हैं। जिसके चलते उच्च शिक्षा विभाग ने अतिरिक्त संचालक सहित सभी कालेजों के प्राचार्यों को निर्देश जारी किया है, अवैध रूप से किए जा रहे कब्जे को रोकने और पहले से अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए कहा है। साथ ही कालेज प्राचार्यों की जवाबदेही तय की गई है कि वे अपने संस्थान की भूमि से जुड़े समस्त दस्तावेज दुरुस्थ करें। शहर के कई सरकारी कालेजों की भूमि में बड़े पैमाने पर अब उनका कब्जा नहीं है। कुछ जगह तो दूसरे सरकारी विभागों के कार्यालय बना दिए गए हैं तो वहीं निजी लोगों ने भी कब्जा कर रखा है।
दशकों पहले स्थापित किए गए कालेजों का अब धीरे-धीरे विस्तार किया जा रहा है। नए भवनों की स्वीकृति मिल रही है लेकिन स्थान की कमी के चलते रुकावट आ रही है। उदाहरण के तौर पर रीवा शहर में एक और कन्या महाविद्यालय की जरूरत महसूस की जा रही है। लगातार मांग भी उठ रही है। सरकार ने प्रयास भी किया लेकिन पूर्व में कालेज के लिए आवंटित भूमि का बड़ा हिस्सा अब उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उपभोक्ता फोरम, आयकर सहित अन्य दूसरे विभागों के कार्यालय चल रहे हैं। शहर के बाहर भूमि अधिग्रहण की तैयारी की जा रही है। इसी के चलते नए कन्या महाविद्यालय की शुरुआत में तकनीकी अड़चन उत्पन्न हो रही है।

– जिले के प्रमुख कालेजों का यह है हाल
– टीआरएस कालेज- पाठ्यक्रम और छात्र संख्या के हिसाब से विंध्य का सबसे पुराना और सबसे बड़ा कालेज है। इसे 49.24 एकड़ भूमि आवंटित हुई थी। दूसरे विभागों के भवन इसकी भूमि पर बने हैं। साथ ही इसके हिस्से की भूमि को निजी स्कूल को लीज पर देने का विवाद न्यायालय में चल रहा है।
– साइंस कालेज- रीवा जिले का यह नोडल कालेज है। इसे 19.118 हेक्टेयर भूमि आवंटित हुई थी। बीएड छात्रावास भी इसी की भूमि में चल रहा है। जिसको लेकर कालेज की ओर से आपत्तियां कई बार उठाई जा चुकी हैं। राजस्व विभाग से कालेज की भूमि के दस्तावेज के लिए पत्राचार किए गए लेकिन जानकारी नहीं दी गई।
– विधि महाविद्यालय- टीआरएस कालेज की भूमि के 2.61 एकड़ हिस्से का आवंटन इसके लिए हुआ है। कई निजी लोगों ने कब्जा कर रखा है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।
– कन्या महाविद्यालय– 14 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी। इसके सीमांकन के लिए कई प्राचार्यों ने प्रयास किया लेकिन प्रशासन का सहयोग नहीं मिला। उपभोक्ता फोरम, आयकर, उद्यानिकी सहित अन्य विभागों को कुछ हिस्सा कलेक्टर की ओर से दिया गया था। निजी लोगों का भी कब्जा है। मामला कोर्ट में चल रहा है।
– संस्कृत महाविद्यालय– इसका भवन तो बना है लेकिन भूमि के दस्तावेज संस्थान के नाम पर नहीं है। प्राचार्य को संभागायुक्त ने पहले निर्देशित किया था कि कोर्ट में मामला दायर करें। प्रबंधन की ओर से कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

अभिलेख सुधार के दिए गए निर्देश
उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव हरिरंजन राव ने अतिरिक्त संचालक और कालेजों के प्राचार्यों को निर्देशित किया है कि संस्थाओं के अभिलेखों में सुधार कराएं। कई जगह निजी लोगों के नाम पर भूमि हो गई है। जिसकी वजह से उन्हें निर्देशित किया गया है कि भूमि स्वामी के कालम में महाविद्यालय या फिर उच्च शिक्षा विभाग का नाम अंकित कराया जाए। साथ ही कालेजों की भूमि का सीमांकन कराने के लिए भी कहा गया है। निर्देशित किया गया है कि समय सीमा में पूरी प्रक्रिया अपनाई जाए, ३१ दिसंबर के पहले ही कालेजों की समस्त जानकारी आनलाइन की जानी है।

कालेजों की भूमि में दस्तावेजों में त्रुटि और अतिक्रमण की शिकायतें हैं। पूर्व में इसकी रिपोर्ट तैयार की गई थी। अब शासन ने फिर निर्देश दिया है कि भूमि का सीमांकन कराने के साथ ही दस्तावेज सुधार कराएं। इसके साथ ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी प्रशासन के सहयोग से की जाएगी।
डॉ. प्रभात पाण्डेय, ओएसडी उच्च शिक्षा रीवा
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