एक दशक से अधिक समय से खाली है पद
विश्वविद्यालय में कार्यपालन यंत्री का पद एक दशक से अधिक समय से खाली है। निर्माण सहित सभी कार्य उपयंत्रियों के भरोसे है, लेकिन विश्वविद्यालय अधिकारी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन वर्ष 2010 में कार्यपालन यंत्री की नियुक्ति के बावत शासन को पत्र लिखा गया था।
विश्वविद्यालय में कार्यपालन यंत्री का पद एक दशक से अधिक समय से खाली है। निर्माण सहित सभी कार्य उपयंत्रियों के भरोसे है, लेकिन विश्वविद्यालय अधिकारी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन वर्ष 2010 में कार्यपालन यंत्री की नियुक्ति के बावत शासन को पत्र लिखा गया था।
महीनों के प्रयास के बाद मामला ठंडे बस्ते में
विश्वविद्यालय में नियुक्ति के बावत पत्र लिखने के साथ ही अधिकारियों की ओर से कोशिश भी शुरू की गई थी, लेकिन चंद महीनों के प्रयास के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। उसके बाद से आज तक अधिकारियों ने न ही शासन से दोबारा अपील की और न ही शासन स्तर से नियुक्ति ही की गई।
विश्वविद्यालय में नियुक्ति के बावत पत्र लिखने के साथ ही अधिकारियों की ओर से कोशिश भी शुरू की गई थी, लेकिन चंद महीनों के प्रयास के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। उसके बाद से आज तक अधिकारियों ने न ही शासन से दोबारा अपील की और न ही शासन स्तर से नियुक्ति ही की गई।
शासन तक पहुंचा विश्वविद्यालय में रिक्त पद का मामला
अभी हाल में विश्वविद्यालय में संविदाकारों के बीच मचे घमासान के बाद शासन स्तर तक कार्यपालन यंत्री के पद खाली होने का मामला पहुंचा है। शिकायत के बाद विश्वविद्यालय अधिकारियों में हडक़ंप तो मचा है, लेकिन नियुक्ति को लेकर अभी भी अधिकारी शासन स्तर पर बात करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं।
अभी हाल में विश्वविद्यालय में संविदाकारों के बीच मचे घमासान के बाद शासन स्तर तक कार्यपालन यंत्री के पद खाली होने का मामला पहुंचा है। शिकायत के बाद विश्वविद्यालय अधिकारियों में हडक़ंप तो मचा है, लेकिन नियुक्ति को लेकर अभी भी अधिकारी शासन स्तर पर बात करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं।
विश्वविद्यालय में दो उपयंत्री व एक मानचित्रकार
हालांकि विश्वविद्यालय में निर्माण कार्य देखने के बावत दो उपयंत्री व एक मानचित्रकार वर्तमान में पदस्थ हैं, लेकिन बिना कार्यपालन यंत्री के विभाग अधूरा माना जा रहा है। अब देखना यह है कि विश्वविद्यालय में हाल में पदस्थ नए कुलसचिव डॉ. बृजेश सिंह इस मामले में कितनी रुचि लेते हैं।
हालांकि विश्वविद्यालय में निर्माण कार्य देखने के बावत दो उपयंत्री व एक मानचित्रकार वर्तमान में पदस्थ हैं, लेकिन बिना कार्यपालन यंत्री के विभाग अधूरा माना जा रहा है। अब देखना यह है कि विश्वविद्यालय में हाल में पदस्थ नए कुलसचिव डॉ. बृजेश सिंह इस मामले में कितनी रुचि लेते हैं।