बताया जा रहा है कि मार्तंड स्कूल भवन का निर्माण आजादी से पूर्व 1885 में हुआ था। एक ही परिसर में मार्तंड स्कूल 1, 2, 3 संचालित हो रही थी। लेकिन कालांतर में विश्वविद्यालय मार्ग पर निर्मित नवीन भवन में मार्तण्ड स्कूल क्रमांक-2 स्थानांतरित कर दिया गया। वर्तमान में यहां स्कूल 1-3 संचालित हो रहा है। शुरूआती दौर में स्कूल के लिए 9 एकड़ 84 ढिसमिल जमीन उपलब्ध कराई गई थी, जिसमें से डेढ़ एकड़ जमीन सेंट्रल किचन के लिए तत्कालीन कलेक्टर एसएन रूपला ने आवंटित कर दिया तो 3 हजार वर्ग फीट से ज्यादा जमीन कालेज की कन्या छात्रावास के लिए दे दी गई। इस जमीन पर किचन बनाया गया है। वहीं छात्रावास की भूमि पर पहले बालीबाल का खेल मैदान था। बीईओ कार्यालय को हटाकर उक्त जमीन कलेक्ट्रेट परिसर के लिए दे दी गई। इसी तरह नवीन कलेक्ट्रेट भवन सहित कई अन्य छोटे-बड़े निर्माण इस खेल मैदान पर हुए है।
मार्तंड स्कूल का यह बड़ा खेल मैदान एक तरह से स्पोर्ट्स कांप्लेक्स की तरह था। संभागीय व राज्यस्तरीय खेल प्रतियोगिताओं का साक्षी रहा है यह मैदान। कई राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताएं भी यहां हुई हैं। आज भी यहां फुटबाल, हॉकी, बॉस्केटबाल, हैंडबॉल, बालीवाल की बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। खो-खो, कबड्डी सहित एथलेटिक्स की स्पर्धा भी समय-समय पर आयोजित की जाती हैं। बावजूद इसके शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन खेल मैदान को और विकसित करने की बजाय उसमें निर्माण कार्य लगातार करवा रहा है।