खाद्य प्रसंस्करण वैज्ञानिक डॉ. चंद्रजीत सिंह ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण रोजगार का अच्छा साधन हो सकता है। इसको सभी को अपनाना होगा। प्रशिक्षण में लाभार्थियों ने आंवले, अमरूद, नींबू, पपीता, सफेद कद्दू, आलू एवं नींबू के विभिन्न प्रसंस्कृत उत्पादों के निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त किया। कृषि विस्तार वैज्ञानिक डॉ. किंजल्क सी. सिंह ने बताया कि लाभार्थियों को प्रसंस्कृत उत्पाद विपणन की विधि, व्यापारिक संवाद क्षमता तथा लेखा-जोखा संबंधी प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया।
प्रशिक्षण के अंतिम दिन ब्यंजन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. पाण्डेय, डॉ. एसके त्रिपाठी, डॉ. आरपी जोशी ने निर्णायक मंडल के सदस्यों की भूमिका निभाई। इस दौरान गीता विश्वकर्मा ने प्रथम स्थान, प्रवीणा मिश्रा द्वितीय तथा दीक्षा सिंह एवं प्रिया जैसवाल ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया।
समापन कार्यक्रम में केंद्र के कीट वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश कुमार, नाबार्ड के जिला प्रबंधक टिकले, यूको बैंक पडऱा के मैनेजर विनोद कुमार, योगेश पाठक, प्रोफेसर उर्मिला शर्मा, प्रोफेसर अर्चना गुप्ता सहित कृषि विज्ञान केंद्र के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।