स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दंपत्ति अपने पुत्र के व्यवहार को लेकर आहत हैं। शपथ पत्र देकर वीरेन्द्र प्रताप सिंह (95) उनकी पत्नी इंदिरा सिंह (88) निवासी खुटेही ने कहा है कि वह अपने पुत्र डॉ. अशोक प्रताप सिंह के दुव्र्यवहार और धमकियों से परेशान हो चुके हैं। बार-बार वह धमकी दे रहे हैं कि मुखाग्रि नहीं देंगे तो अब स्वयं इस दायित्व से पुत्र को मुक्त किया जा रहा है।
स्वतंत्रता सेनानी दंपत्ति ने कहा है कि उनके अंतिम संस्कार से जुड़े क्रिया-कर्म में भी अब पुत्र अशोक का कोई अधिकार नहीं रहेगा। यह भी इच्छा जताई है कि उनकी अर्थी को हाथ भी नहीं लगाए। अंतिम इच्छा पत्र स्टांप पेपर में लिखकर जिला प्रशासन को सौंप दिया है। साथ ही कहा है कि बेटी ही अंतिम संस्कार कराएगी।
संपत्ति विवाद को लेकर चल रहा मुकदमा
स्वतंत्रता सेनानी दंपत्ति के अकेले पुत्र के साथ संपत्ति के स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा है। दंपत्ति का आरोप है कि सुभाष तिराहे के शॉपिंग कॉम्पलेक्स के साथ ही अन्य कई संपत्तियों पर उनके पुत्र ने जबरिया कब्जा कर रखा है। जबकि उनके व्यवहार से आहत होने के कारण अब वह एक हिस्सा पुत्री और एक स्वयं के लिए लेना चाह रहे हैं।
माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 व 2009 के प्रावधान अनुसार एसडीएम कोर्ट में आवेदन लगाया गया था। जहां पर आवेदकों के पुत्र की ओर से तर्क दिया गया कि दोनों स्वतंत्रता सेनानी हैं और पेंशन भी प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा अन्य कई तर्क दिए गए। जिस पर एसडीएम ने उक्त प्रकरण को समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया। इस पर सेनानियों ने कहा है कि वह दुव्र्यवहार और प्रताडऩा से आहत हैं लेकिन एसडीएम ने नियमों में उलझाने का प्रयास किया है। पुत्र पर किसी तरह की कार्रवाई का आदेश नहीं दिया गया है।
स्वतंत्रता सेनानी इंदिरा सिंह का कहना है कि स्थानीय स्तर पर प्रशासन से शिकायत करते-करते वह हार चुकी हैं। उन्हें अब अपने पुत्र से ही जीवन का खतरा सताने लगा है। वह चाहती हैं कि उनकी जो समस्या है उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पहुंचाया जाए।