सेनिटाइज होने के बाद लोग लापरवाही करने लगते है
यह शरीर के अंगों और कपड़ों का विसंक्रमण सुचारू रूप से नहीं करता। साथ ही हाथ, आंखों में जलन, गले में खराश, स्किन एलर्जी, उल्टी एवं फेफड़ों में नुकसान पहुंचाता है। सरकार ने एडवाइजरी में कहा है कि यह लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा करता है। इस टनल से निकलने के बाद लोग स्वयं को सेनिटाइज समझ बैठते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग एवं हाथ धोने के प्रोटोकाल की अनदेखी करने लगते हैं। ये लोगों को झूठी सुरक्षा का आश्वासन देने जैसा है। इसलिए इसका उपयोग अस्पताल एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर नहीं किया जाए।
यह शरीर के अंगों और कपड़ों का विसंक्रमण सुचारू रूप से नहीं करता। साथ ही हाथ, आंखों में जलन, गले में खराश, स्किन एलर्जी, उल्टी एवं फेफड़ों में नुकसान पहुंचाता है। सरकार ने एडवाइजरी में कहा है कि यह लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा करता है। इस टनल से निकलने के बाद लोग स्वयं को सेनिटाइज समझ बैठते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग एवं हाथ धोने के प्रोटोकाल की अनदेखी करने लगते हैं। ये लोगों को झूठी सुरक्षा का आश्वासन देने जैसा है। इसलिए इसका उपयोग अस्पताल एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर नहीं किया जाए।
कई प्रमुख स्थानों पर हो रहा उपयोग
सरकार ने फुलबाडी सेनिटाइजर टनल को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके बाद भी कई प्रमुख स्थानों पर इसे लगाया जा रहा है। कलेक्ट्रेट, पुलिस कंट्रोल रूम सहित कई अन्य स्थानों पर भी लगा दिया गया है। इसका उपयोग अधिकारी, कर्मचारी बड़ी संख्या में कर भी रहे हैं। रेडक्रास से जुड़े लोगों ने भी कई जगह टनल लगवाई है। निगम और अस्पताल में यूनिक इंफ्रा ने सेंसरयुक्त टनल लगाई थी, लेकिन डब्ल्यूएचओ और सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी होते ही संस्था ने नए जगह टनल लगाने का कार्य रोक दिया है। संस्था के प्रमुख विभू सूरी ने बताया कि निगम अधिकारियों ने डिमांड की थी लेकिन डब्ल्यूएचओ और सरकार की गाइडलाइन मिलने के बाद से काम रोक दिया है।
सरकार ने फुलबाडी सेनिटाइजर टनल को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके बाद भी कई प्रमुख स्थानों पर इसे लगाया जा रहा है। कलेक्ट्रेट, पुलिस कंट्रोल रूम सहित कई अन्य स्थानों पर भी लगा दिया गया है। इसका उपयोग अधिकारी, कर्मचारी बड़ी संख्या में कर भी रहे हैं। रेडक्रास से जुड़े लोगों ने भी कई जगह टनल लगवाई है। निगम और अस्पताल में यूनिक इंफ्रा ने सेंसरयुक्त टनल लगाई थी, लेकिन डब्ल्यूएचओ और सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी होते ही संस्था ने नए जगह टनल लगाने का कार्य रोक दिया है। संस्था के प्रमुख विभू सूरी ने बताया कि निगम अधिकारियों ने डिमांड की थी लेकिन डब्ल्यूएचओ और सरकार की गाइडलाइन मिलने के बाद से काम रोक दिया है।