scriptरीवा में सात जनवरी को गर्ल्स मैराथन, प्रथम आने पर मिलेंगे 20,000 रुपए, जानिए कैसे? | Girls Marathon in Rewa on 7 January will get Rs 20000 on first come | Patrika News

रीवा में सात जनवरी को गर्ल्स मैराथन, प्रथम आने पर मिलेंगे 20,000 रुपए, जानिए कैसे?

locationरीवाPublished: Dec 18, 2017 12:10:03 pm

Submitted by:

Dilip Patel

रन फॅार गर्ल्स एजुकेशन मैराथन का होने जा रहा है आयोजन, मेडिकल कॉलेज के डॉ. राकेश पटेल ने की है पहल, 15 से 30 साल की लड़कियां ले सकती हैं भाग
 

रीवा। बेटियों को शिक्षित करने के प्रति समाज जागरूक हो। शहर और ग्रामीण क्षेत्र की शैक्षिक गुणवत्ता के अंतर की खाईं को पाटा जा सके। इस उद्देश्य को लेकर रीवा में पहली बार ‘रन फॉर गर्ल्स एजुकेशन’ मैराथन का आयोजन होने जा रहा है। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के डॉ. राकेश पटेल ने इसकी पहल की है।
उन्होंने बताया कि 7 जनवरी को सुबह 7.30 बजे रन फॉर गर्ल्स एजुकेशन मैराथन अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से शुरू होगी और कलेक्ट्रेट में समाप्त होगी। मैराथन को हरी झंडी मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. केएन सिंह यादव दिखाएंगे और विजयी प्रतिभागियों को कलेक्टर प्रीति मैथिल पुरस्कृत करेंगी। मैराथन में 15 से 30 साल उम्र की लड़कियां हिस्सा ले सकेंगी। इसके लिए डॉक्टर कॉलोनी में डॉ. पटेल के आवास पर 30 दिसंबर तक रजिस्ट्रेशन कराए जा सकेंगे। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए ७५०९६७५२४३ मोबाइल नंबर पर भी संपर्क कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के दौरान स्कूल या कॉलेज का आईडी कार्ड दिखाना अनिवार्य है।
एक जैसी टी-शर्ट में रहेंगे प्रतिभागी
मैराथन के दौरान रन फॉर गर्ल्स एजुकेशन का संदेश देने के लिए एक जैसी टी-शर्ट में लड़कियां रहेंगी। यह टी-शर्ट आयोजक के द्वारा प्रदान की जाएगी।

प्रथम आने पर मिलेंगे बीस हजार
मैराथन में प्रथम आने पर 20 हजार, द्वितीय स्थान पर रहने पर 10 हजार और तृतीय स्थान पर आने पर 5 हजार रुपए की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही चौथे से लेकर दसवें स्थान तक रहने वाले प्रतिभागियों को एक-एक हजार रुपए प्रदान किए जाएंगे।
शिक्षा के लिए हैं संकल्पित
डॉ. राकेश पटेल रायपुर कर्चुलियान के बुढ़वा गांव के हैं। अपने गांव में टीच टू इच संस्था के तहत 2013 से 5 बच्चों को पढ़ाने को जिम्मा लिया था। आज बुढ़वा, रामनई, ढकरा पलिया, बदवार, अमवा और खजुआ सहित कुल छह सेंटर हैं। जहां प्रतिमाह बीस हजार रुपए खर्च पर शिक्षकों को रख गरीब बच्चों को पढ़वा रहे हैं। दो गरीब बच्चे बृजेश यादव, लक्ष्मीकांत साकेत नवोदय और मधु पटेल ज्ञानोदय में चयनित हो चुके हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में बच्ची का जन्म होने के बाद माता-पिता दहेज के लिए बैंक बैलेंस करने लगते हैं लेकिन उसकी शिक्षा पर जोर नहीं देते हैं। वहीं शहर और ग्रामीण क्षेत्र के शैक्षिक गुणवत्ता में जमीन-आसमान का अंतर है। इस स्तर को सुधारने के लिए वह शिक्षा के प्रति संकल्पित हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो