जिंदा रहती हैं तो सिर्फ यादें, सहेजें और सम्मान करें
मेडिकल कालेज के एनाटामी हाल में आयोजित समारोह के दौरान पद्मश्री से सम्मानित डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी काडियोलॉजिस्ट शामिल हुए। 69वें बैच के छात्र रहे डॉ. चतुर्वेदी का नाम साहित्य क्षेत्र में भी व्यंगकार के रूप में विख्यात है। उन्होंने मंच पर माइक पकड़ते ही जैसे ही कुछ सार्थियों पर व्यंग के साथ तंज कसकर पुराने यादें ताजा किया कि पूर हाल तालियों की गडग़ड़हाट से गूंज उठा। इस दौरान डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने कहा, आप के जीवन के साथ कुछ भी नहीं रह जाता है। जिंदा रहती हैं तो सिर्फ यादें। आप की यादें स्मृतियां हैं, इस लिए उन्हें सहेजें और उनका सम्मान करना सीखें।
मेडिकल कालेज के एनाटामी हाल में आयोजित समारोह के दौरान पद्मश्री से सम्मानित डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी काडियोलॉजिस्ट शामिल हुए। 69वें बैच के छात्र रहे डॉ. चतुर्वेदी का नाम साहित्य क्षेत्र में भी व्यंगकार के रूप में विख्यात है। उन्होंने मंच पर माइक पकड़ते ही जैसे ही कुछ सार्थियों पर व्यंग के साथ तंज कसकर पुराने यादें ताजा किया कि पूर हाल तालियों की गडग़ड़हाट से गूंज उठा। इस दौरान डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने कहा, आप के जीवन के साथ कुछ भी नहीं रह जाता है। जिंदा रहती हैं तो सिर्फ यादें। आप की यादें स्मृतियां हैं, इस लिए उन्हें सहेजें और उनका सम्मान करना सीखें।
इन डॉक्टरों ने भी ताजा की पुरानें यादें
इसी तरह यूपी से आए डॉ. यूएस सिंह मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के पूर्व डीन सहित डॉ. जीपी श्रीवास्तव, डॉ.अनिल श्रीवास्तव, डॉ. कल्पना जैन, डॉ. एचके पांडेय, डा. एसके पाठक, डॉ. एमके तिवारी, डॉ. नरेन्द्र सिंह, डॉ. जीपी ङ्क्षसह, डॉ. जय सिंह, आदि ने डॉ.आरपी तिवारी आदि ने पुराने यादें ताजा की। समारोह में आभार स्वागत एल्युिमनी एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. सीवी शुक्ला तथा संचालन डॉ. यत्नेश त्रिपाठी ने किया। साथ में डॉ.अम्बरीश मिश्र व डॉ. लोकेश तिवारी भी रहे।
पुराछात्रों ने गुरूओं को किया सम्मानित
समारोह में 69वें बैच के छात्रों ने अपने गुरूओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस दौरान डॉ. बीपी गर्ग, डा. एमएल गुलाटी, डॉ. एके तिवारी, डॉ. शरद चंद्र जैन को सम्मानित किया। सम्मान समारोह के दौरान समारोह में शामिल होने पहुंचे ३५ पुराछात्रों के साथ पूरा हाल भावविभोर हो गया।
उधरी समोसे-आलू बंडा याद आया तो लगे ठहाके
देश के विभिन्न राज्यों में अपनी प्रतिभा का प्रकाश फैला रहे वर्ष 1969 बैच के पुराछात्र शनिवार को कालेज परिसर में पहुंचे तो पुराने यादें ताजा हो गईं। श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय परिसर में डॉक्टर जुटे तो पद्मश्री से सम्मानित डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी, डॉ. कल्पना जैन, डॉ. एसके पाठक सहित करीब ३५ की संख्या में पुराछात्र जुटे तो उनकी पुराने यादें ताजा हो गईं। चिकित्सकों ने मेडिकल कालेज के बाहर साहू की दुकान की चाय और उधारी के आलू बंडा व समोसे याद दिलाई तो ठहाके लगाने से अपने आप को कोई रोक नहीं पाया।
इसी तरह यूपी से आए डॉ. यूएस सिंह मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के पूर्व डीन सहित डॉ. जीपी श्रीवास्तव, डॉ.अनिल श्रीवास्तव, डॉ. कल्पना जैन, डॉ. एचके पांडेय, डा. एसके पाठक, डॉ. एमके तिवारी, डॉ. नरेन्द्र सिंह, डॉ. जीपी ङ्क्षसह, डॉ. जय सिंह, आदि ने डॉ.आरपी तिवारी आदि ने पुराने यादें ताजा की। समारोह में आभार स्वागत एल्युिमनी एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. सीवी शुक्ला तथा संचालन डॉ. यत्नेश त्रिपाठी ने किया। साथ में डॉ.अम्बरीश मिश्र व डॉ. लोकेश तिवारी भी रहे।
पुराछात्रों ने गुरूओं को किया सम्मानित
समारोह में 69वें बैच के छात्रों ने अपने गुरूओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस दौरान डॉ. बीपी गर्ग, डा. एमएल गुलाटी, डॉ. एके तिवारी, डॉ. शरद चंद्र जैन को सम्मानित किया। सम्मान समारोह के दौरान समारोह में शामिल होने पहुंचे ३५ पुराछात्रों के साथ पूरा हाल भावविभोर हो गया।
उधरी समोसे-आलू बंडा याद आया तो लगे ठहाके
देश के विभिन्न राज्यों में अपनी प्रतिभा का प्रकाश फैला रहे वर्ष 1969 बैच के पुराछात्र शनिवार को कालेज परिसर में पहुंचे तो पुराने यादें ताजा हो गईं। श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय परिसर में डॉक्टर जुटे तो पद्मश्री से सम्मानित डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी, डॉ. कल्पना जैन, डॉ. एसके पाठक सहित करीब ३५ की संख्या में पुराछात्र जुटे तो उनकी पुराने यादें ताजा हो गईं। चिकित्सकों ने मेडिकल कालेज के बाहर साहू की दुकान की चाय और उधारी के आलू बंडा व समोसे याद दिलाई तो ठहाके लगाने से अपने आप को कोई रोक नहीं पाया।
तब आर्थिकरूप से कमजोर बैच के थे छात्र
चिकित्सक बताते हैं कि तब पढ़ाई के समय आर्थिकरूप से सबसे कमजोर बैच हुआ करता था। तब चाय, समोसे और नास्ता के लिए हर छात्र का शेड्यूल तय होता था। कई चिकित्सो ने बताया कि रात में छात्र गुलफाम भवन के पास एकत्रित होते थे। गुलफाम हाउस के पास आपस में शरारत की भी चर्चा कर ठहाके लगाए। इस दौरान कई चिकित्सकों ने कहा, वर्ष 1969 का बैच कमजोर हुआ करता था। चौराहे की दुकान पर एकत्रित हुआ करते थे। तब सीनियर छात्र रैगिंग भी किया करते थे। सम्मेलन में जुटे ज्यादातर पुराछात्रों की पहचान बदल गई है। इस दौरान सभी ने अपने-अपने यादें एक दूसरे से ताजा की।
चिकित्सक बताते हैं कि तब पढ़ाई के समय आर्थिकरूप से सबसे कमजोर बैच हुआ करता था। तब चाय, समोसे और नास्ता के लिए हर छात्र का शेड्यूल तय होता था। कई चिकित्सो ने बताया कि रात में छात्र गुलफाम भवन के पास एकत्रित होते थे। गुलफाम हाउस के पास आपस में शरारत की भी चर्चा कर ठहाके लगाए। इस दौरान कई चिकित्सकों ने कहा, वर्ष 1969 का बैच कमजोर हुआ करता था। चौराहे की दुकान पर एकत्रित हुआ करते थे। तब सीनियर छात्र रैगिंग भी किया करते थे। सम्मेलन में जुटे ज्यादातर पुराछात्रों की पहचान बदल गई है। इस दौरान सभी ने अपने-अपने यादें एक दूसरे से ताजा की।