scriptकेन्द्रीय पुस्तकालय में कवियों व साहित्यकारों की दुर्लभ पुस्तकें | Government Central Library Rewa | Patrika News

केन्द्रीय पुस्तकालय में कवियों व साहित्यकारों की दुर्लभ पुस्तकें

locationरीवाPublished: Sep 20, 2018 03:52:48 pm

Submitted by:

Vedmani Dwivedi

पुस्तकालय के करीब चार हजार सदस्य, इंडिया एट ए ग्लांस, साइंस इनसाइक्लोपीडिया जैसी कई अमूल्य पुस्तक

Government Central Library Rewa

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रीवा. इंडिया एट ए ग्लांस जैसी कई अमूल्य पुस्तकों को समेटे शासकीय केन्द्रीय पुस्तकालय अपनी दुर्दशा के लिए आंसू बहा रहा है। पाठकों की संख्या दिनों-दिन घटती जा रही है। नई तकनीकी एवं अपडेट नहीं होने की वजह से युवा केन्द्रीय पुस्तकालय को लेकर उत्साहित नहीं हैं।

पुस्तकालय में करीब चार हजार से ज्यादा सदस्य हैं, लेकिन अध्ययन के लिए पहुंचने वाले पाठकों की संख्या बेहद कम है। पुस्तकालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक, प्रतिदिन करीब 40 लोग ही पहुंच रहे हैं। नियमित रूप से सुबह 10 से 15 एवं शाम को 20 से 25 लोग पुस्तकालय में पहुंच रहे हैं।

केन्द्रीय पुस्तकालय के लाइब्रेरियन अजय श्रीवास्तव ने बताया कि इंडिया एट ए ग्लांस, साइंस इनसाइक्लोपीडिया, 20 फस्र्ट सेंचुरी इनसाइक्लोपीडिया, निजाम बुक्स जैसी पुस्तकें केन्द्रीय लाइब्रेरी में हैं जो अन्य जगह नहीं मिलेंगी।

उन्होंने बताया कि नियमित रूप से बजट नहीं मिलने से दिक्कत हो रही है। पत्र-पत्रिकाओं का भुगतान कर पाना भी मुश्किल हो रहा है। आवश्यकता के मुताबिक पत्र-पत्रिकाएं नहीं आ पा रही हैं।

केन्द्रीय पुस्तकालय रीवा स्कूल शिक्षा विभाग की देखरेख में चल रहा है। स्थानीय स्तर पर जिला शिक्षा अधिकारी देखरेख करते हैं। पुस्तकालय में पुस्तकों को रखने एवं पाठकों के बैठने की भी उचित व्यवस्था नहीं हैं। भवन का छत कई जगह से टपक रहा है, जिससे वहां रखी पुस्तकों को नुकसान पहुंचता है।

प्रत्येक कार्यालय एवं घर में जहां शौचालय बनाने का अभियान चल रहा है। वहीं केन्द्रीय पुस्तकालय भवन में अभी तक शौचालय नहीं है। उपेक्षा की वजह से यह सब हो रहा है। पुस्तकालय भवन की मरम्मत के लिए 16 लाख रुपए का बजट मिला।

लोकनिर्माण विभाग को भवन की मरम्मत कराना है लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है।

प्रदेश के 36 जिला मुख्यालयों में स्कूल शिक्षा विभाग शासकीय पुस्तकालयों का संचालन कर रहा है। शासकीय पुस्तकालयों के सुदृढ़ीकरण के लिये इस वर्ष करीब 3 करोड़ रुपये राशि की स्वीकृति दी गई है।

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