वर्ष 2013-14 में आरक्षित की गई भूमि
खनिज विभाग ने मध्य प्रदेश राज्य खनिज निगम को वर्ष वर्ष 2013-14 में जिले सीमावर्ती क्षेत्र जवा तहसील में सिलिका सेंड के लिए उत्खनि पट्टा स्वीकृत किया है। जवा तहसील के रघुनाथपुर गांव के खसरा क्रमांक- 176/12 रकबे से 14.०० हेक्टेयर उत्खनि क्षेत्र आरक्षित है। जिसमें 32 एकड़ एरिया सिलिका सेंड का संभावित भंडार है।
खनिज विभाग ने मध्य प्रदेश राज्य खनिज निगम को वर्ष वर्ष 2013-14 में जिले सीमावर्ती क्षेत्र जवा तहसील में सिलिका सेंड के लिए उत्खनि पट्टा स्वीकृत किया है। जवा तहसील के रघुनाथपुर गांव के खसरा क्रमांक- 176/12 रकबे से 14.०० हेक्टेयर उत्खनि क्षेत्र आरक्षित है। जिसमें 32 एकड़ एरिया सिलिका सेंड का संभावित भंडार है।
वर्ष 2015 में संभावित भंडार की तैयार की थी रिपोर्ट
तत्कालीन समय में वर्ष 2015 में संभावित भंडार की रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई थी। लीज स्वीकृत होने के छह साल बाद भी मध्य प्रदेश राज्य खनिज निगम आरक्षित लीज पर उत्पादन चालू नहीं कर सका। अधिकारियों का तर्क है कि भंडारण का परीक्षण तब चार मीटर गहरा ही हुआ था, जिससे मात्रा का आंकलन नहीं हो पाया। मात्रा के आंकलन के अभाव में उत्पादन चालू नहीं हो सका। लेकिन माइनिंग कार्पोरेशन की अनदेखी से सरकार को मिलने वाले राजस्व का नुकसान हो रहा है।
तत्कालीन समय में वर्ष 2015 में संभावित भंडार की रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई थी। लीज स्वीकृत होने के छह साल बाद भी मध्य प्रदेश राज्य खनिज निगम आरक्षित लीज पर उत्पादन चालू नहीं कर सका। अधिकारियों का तर्क है कि भंडारण का परीक्षण तब चार मीटर गहरा ही हुआ था, जिससे मात्रा का आंकलन नहीं हो पाया। मात्रा के आंकलन के अभाव में उत्पादन चालू नहीं हो सका। लेकिन माइनिंग कार्पोरेशन की अनदेखी से सरकार को मिलने वाले राजस्व का नुकसान हो रहा है।
चार साल तक इसलिए लटका रहा प्रोजेक्ट
जिले के दस्यु प्रभावित क्षेत्र रघुनाथपुर में आरक्षित लीज पर सिलिकासेंड के संभावित भांडारण मात्रा का डिटेल सर्वे नहीं हो पाया था। जिससे मशीनरी के आभाव में चार साल तक काम लटका रहा। रघुनाथुपर प्रोजेक्ट के प्रभारी अधिकारी नागेन्द्र ङ्क्षसह सिंह का तर्क है कि दस्यु प्रभावित क्षेत्र होने के कारण पहले काम नहीं हो पाया। उस क्षेत्र में मजदूर नहीं मिले। जिससे चार मीटर गहरे में ही ड्रिलिंग हो पायी थी। इसलिए भंडारण का अच्छे से पता नहीं चल सका है। दोबारा मूल्यांकन के लिए मशीन का जुगाड़ हो गया है। संभावना है कि वर्ष 2019 में ही उत्पादन चालू हो जाएगा।
जिले के दस्यु प्रभावित क्षेत्र रघुनाथपुर में आरक्षित लीज पर सिलिकासेंड के संभावित भांडारण मात्रा का डिटेल सर्वे नहीं हो पाया था। जिससे मशीनरी के आभाव में चार साल तक काम लटका रहा। रघुनाथुपर प्रोजेक्ट के प्रभारी अधिकारी नागेन्द्र ङ्क्षसह सिंह का तर्क है कि दस्यु प्रभावित क्षेत्र होने के कारण पहले काम नहीं हो पाया। उस क्षेत्र में मजदूर नहीं मिले। जिससे चार मीटर गहरे में ही ड्रिलिंग हो पायी थी। इसलिए भंडारण का अच्छे से पता नहीं चल सका है। दोबारा मूल्यांकन के लिए मशीन का जुगाड़ हो गया है। संभावना है कि वर्ष 2019 में ही उत्पादन चालू हो जाएगा।
पुनर्मूल्यांक के लिए रघुनाथपुर पहुंचा अमला
खनिज संचालक के आदेश पर क्षेत्रीय भौमिखी अधिकारी संजीव मोहन पांडेय की अगुवाई में रघुनाथपुर में पुर्नमूल्यांकन का काम करीब-करीब पूरा हो गया है। गुरुवार को चौथे दिन तक करीब बीस मीटर गहराई में परीक्षण किया गया। डिटेल सर्वे की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टीम देरशाम मुख्यालय लौटी।
वर्जन…
शासन ने वर्ष 2013-14 में माइनिंग कार्पोरेशन को उत्खनि पट्टा अलाट कर दिया है। पुर्नामूल्यांकन का काम पूरा हो गया है। संभावना है कि जल्द उत्पादन चालू हो जाएगा।
संजीव मोहन पांडेय, क्षेत्रीय भौमिक अधकारी, रीवा संभाग
खनिज संचालक के आदेश पर क्षेत्रीय भौमिखी अधिकारी संजीव मोहन पांडेय की अगुवाई में रघुनाथपुर में पुर्नमूल्यांकन का काम करीब-करीब पूरा हो गया है। गुरुवार को चौथे दिन तक करीब बीस मीटर गहराई में परीक्षण किया गया। डिटेल सर्वे की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टीम देरशाम मुख्यालय लौटी।
वर्जन…
शासन ने वर्ष 2013-14 में माइनिंग कार्पोरेशन को उत्खनि पट्टा अलाट कर दिया है। पुर्नामूल्यांकन का काम पूरा हो गया है। संभावना है कि जल्द उत्पादन चालू हो जाएगा।
संजीव मोहन पांडेय, क्षेत्रीय भौमिक अधकारी, रीवा संभाग
वर्जन…
सरकार के राजस्व का नुकसान अभी तक नहीं हुआ है। हां ये है कि थोड़ा देर जरूर हो गई। अभी तक टेंडर नहीं हुआ है इसलिए राजस्व का नुकसान नहीं हुआ। पुर्नमूल्यांकन होने से मात्रा का अनुमान लग गया है। इसलिए 3०-35 लाख रुपए का फायदा होगा।
नागेन्द्र ङ्क्षसह, प्रोजेक्ट प्रभारी
सरकार के राजस्व का नुकसान अभी तक नहीं हुआ है। हां ये है कि थोड़ा देर जरूर हो गई। अभी तक टेंडर नहीं हुआ है इसलिए राजस्व का नुकसान नहीं हुआ। पुर्नमूल्यांकन होने से मात्रा का अनुमान लग गया है। इसलिए 3०-35 लाख रुपए का फायदा होगा।
नागेन्द्र ङ्क्षसह, प्रोजेक्ट प्रभारी