कृषि महाविद्यालय परिसर में तीन दिवसीय कृषि उन्नति मेला का शुभारंभ, पहले दिन दिल्ला से दिखाया गया प्रधानमंत्री का सीधा प्रसारण, सांसद ने कहा…
रीवा. कृषि महाविद्यालय परिसर में शनिवार को तीन दिवसीय किसान मेले का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली में आयोजित कृषि उन्नति मेले से प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी का सीधा प्रसारण दिखाया गया। प्रधानमंत्री ने जैविक कृषि पोर्टल का शुभारंभ किया। इसमें रीवा संभाग के सिंगरौली सहित देश के 25 नए कृषि विज्ञान केन्द्र शामिल हैं।
सांसद बोले, किसान स्वयं तैयार करें भंडार गृह सांसद जर्नादन मिश्र ने प्याज भंडारण पर जोर देते हुए कहा कि किसान सरकार की योजना के साथ-साथ स्वयं का भंडार गृह बनाएं। इस दौरान कृषि अधिकारियों ने बताया कि सरकार के सब्सिड़ी का इंतजार न करें, 25 टन का भंडार गृह बनाने वाले किसानों को 85 से 90 हजार रुपए देगी। सांसद से अधिक से अधिक किसानों को प्याज, टमाटर और आलू की खेती करने पर बल दिया है। जिससे खेती लाभ का धंधा बन सके।
कम समय वाली फसलों की करें बोवनी जिला पंचायत उपाध्यक्ष विभा पटेल ने कहा, किसान वैज्ञानिक विधि से खेती करें, इसके अलावा कम पानी, लागत और कम समय वाली फसलों की बोवनी करें जिससे खेती लाभ का धंधा बन सके। जिले में कृषि में उत्कृष्ट कार्य के लिए आत्मा परियोजना से किसानों को पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम को महापौर ममता गुप्ता, कृषि स्थायी समिति के सभापति लल्लू प्रसाद कुशवाहा ने संबोधित किया।
महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने भी बताए खेती के गुर मौके पर महाविद्यालय के प्रभारी अधिष्ठाता डॉ. एसके पयासी, प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र प्रमुख डॉ. निर्मला सिंह, उपसंचालक कृषि एसके माहोर, श्रीपति द्विवेदी, डॉ. डीपी दुबे, डॉ. जगदीश सिंह, डॉ. एएस. चौहान, डॉ. एसएम कुर्मवंशी मौजूद रहे। मेले में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा गेहूं की उन्नत किस्मों की प्रदर्शनी लगाई गई। मेला में कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, पशुपालन एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। संचालन डॉ. ब्रजेश कुमार तिवारी एवं डॉ. अखिलेश कुमार ने किया।
अव्यवस्था के चलते बैरंग लौटे किसानकिसान मेले में अव्यवस्था के कारण दूर-दूर से पहुंचे किसानों को लंच पैकेट और पीने का पानी नहीं मिल सका। आयोजकों की अनदेखी के चलते किसानों को परेशान होना पड़ा। कई किसान इसलिए चले गए कि उन्हें बैठने की जगह नहीं मिली।