अपर मुख्य सचिव ने कहा है कि कलेक्टर गाइडलाइन पर भूमि की कीमत निर्धारित होती है। जिसमें उस पर मौजूद परिसंपत्तियों का मूल्य समाहित होता है। उनका अलग से कोई मूल्यांकन नहीं किया जाता है। इस वजह से मुआवजा वितरण के समय केवल मकान का अलग से मूल्यांकन किया जाए, अन्य किसी भी सामग्री का अलग भुगतान नहीं किया जाएगा।
भूमि की रजिस्ट्री के दौरान उस पर मौजूद परिसंपत्तियों की रजिस्ट्री अलग से नहीं होती है। इस कारण मुआवजा वितरण के समय अतिरिक्त भुगतान करना उचित नहीं है। कृषि भूमि में सिंचाई के साधन होने की वजह से ही भूमि का मूल्य असिंचित से अधिक रखा जाता है। ऐसे में एक ही भूमि पर दोहरा भुगतान मापदंडों के अनुरूप नहीं है।
कलेक्टर के पास आए पत्र में उल्लेख है कि पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के महानिरीक्षक द्वारा समय-समय पर सिंचित भूमि की कलेक्टर गाइडलाइन दर में ट्यूबवेल, कुंआ और वृक्षों आदि का अलग से मूल्यांकन नहीं करने की अनुशंसा की जाती रही है। इस कारण अब तत्काल प्रभाव से भूमि के अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान बंद करना होगा।