प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने 2025 तक देश को टीबी रोग से मुक्त करने का ऐलान किया है। जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को टीबी उन्मूलन का लक्ष्य दिया गया है। इसी कवायद में अब समस्त निजी चिकित्सकों व नर्सिंग होम को टीबी रोग के लिए इलाज की अनुमति दे दी गई है। इस कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए निजी चिकित्सकों को 100 रुपए देने की बात कही गई है। यह राशि प्राप्त करने के लिए निजी चिकित्सकों को नए टीबी रोगियों की सूचना जिला क्षय अधिकारी को देनी होगी। ऐसे सभी निजी चिकित्सकों को डायरेक्ट बेनीफि ट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से 100 रुपए दिए जाएंगे। यह योजना 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी। मालूम हो कि प्रति एक लाख में 210 क्षय रोगी होते हैं। भारत में दुनिया के एक चौथाई क्षय रोगी है। देश के एक हजार क्षय रोगी रोज मर जाते हैं। अर्थात हर दो मिनट में तीन रोगी की मृत्यु हो रही है। बात रीवा की करें तो प्रदेश में टीबी के मामले में रीवा डेंजर जोन में है। यहां तीन हजार से अधिक टीबी रोगी हैं। 68 से अधिक टीबी रोगियों की जिंदगी दांव पर है क्योंकि वे एमडीआर अवस्था में पहुंच चुके हैं।
टीबी उन्मूलन में आएगी तेजीमुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आनंद महेन्द्रा ने बताया कि क्षय कार्यक्रम पर सरकार बहुत जोर दे रही है। निजी चिकित्सकों को कार्यक्रम से जोडऩा रोगी के इलाज और क्षय उन्मूलन में सहायक होगा। समस्त नर्सिंग होम संचालक एवं निजी चिकित्सक अब इलाज कर सकते हैं। राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में रोगी के आने पर शत-प्रतिशत रोगी पंजीकृत हो सकेंगे
टीबी रोगियों को मिलेंगे 500 रुपएउधर, बजट में टीबी रोगियों को 500 रुपए प्रतिमाह देने को ऐलान पहले ही हो चुका है। सीएमएचओ ने कहा कि इस योजना से टीबी रोगी उचित पोषण आहार की व्यवस्था कर सकते हैं। जांच व इलाज के लिए आने-ाने से संबंधित वाहन किराया भी दे सकेंगे। इससे भी टीबी रोग उन्मूलन में तेजी आएगी।