– ११ जिलों के लिए हो रही प्रिंटिंग
सरकारी प्रिंटिंग प्रेस प्रदेश में कुछ चिन्हित स्थानों पर ही हैं। रीवा के प्रेस में ११ जिलों के प्रमुख विभागों द्वारा प्रिंटिंग कराई जा रही है। जिसमें रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, पन्ना, छतरपुर आदि जिले शामिल हैं। अब इन सभी जिलों के विभागों को प्रिंटिंग के लिए भोपाल जाना होगा।
– पहले से चल रही थी बंद करने की तैयारी
रीवा के प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने की तैयारी कई वर्ष पहले से चल रही थी। यह जयस्तंभ चौराहे में स्थित था, जहां की भूमि को पुनर्घनत्वीकरण योजना में शामिल करते हुए बिल्डर्स को दिया गया है। इसे करीब तीन वर्ष पहले ही जयस्तंभ से शहर के बजरंग नगर में स्थित जलसंसाधन विभाग के कार्यालय में अस्थाई रूप से शिफ्ट किया गया था। तभी से इसके भविष्य पर संकट मंडरा रहा था। बीते महीने ही आजादी के पहले चलाई जा रही प्रिंङ्क्षटग मशीनों को कबाड़ के भाव पर बेचा गया है।
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कर्मचारियों ने कहा, भावनात्मक लगाव रहा है संस्था से
सरकारी प्रिंटिंग प्रेस में बीते 28 साल से काम कर रहा हूं। इसमें दादा और पिता ने भी काम किया है। इस कारण भावनात्मक लगाव रहा है। सरकार ने बंद करने का निर्णय लिया है, जो भी निर्देश होगा उसका पालन करेंगे।
राकेश तिवारी, कर्मचारी
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41 वर्ष पहले इस प्रेस में इंकमैन के रूप में नौकरी शुरू की थी। इतने समय काम करते नई तकनीकि एवं कई उतार-चढ़ाव भी देखे। अपने आंखों से बंद होते देखना सहज नहीं होगा। सोचा था यहीं से सेवानिवृत्ति भी मिलेगी। सरकार का निर्णय है मानना ही होगा।
इंद्रमणि प्रसाद शुक्ला, सीनियर मशीनमैन
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तीन पुस्तें हमारी इसी प्रेस की कमाई से आगे बढ़ी हैं। पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति पर हूं। इससे भावनात्मक लगाव है, मीडिया से जानकारी मिली कि बंद हो रहा है तो पूरे परिवार को झटका लगा है। भरोसा नहीं हो रहा लेकिन जो होगा स्वीकार करेंगे।
दिनेश कुमार तिवारी, सीनियर मशीनमैन
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पति भी यहीं काम करते थे, उनकी जगह पर अनुकंपा नियुक्ति मिली है। परिवार की पूरी जिम्मेदारी है। यदि दूसरे शहर सरकार भेजेगी तो पूरे परिवार को लेकर जाना पड़ेगा। विषम परिस्थिति बन गई है, मांग है कि यहीं किसी दूसरे विभाग में रख दिया जाए।
किरण पटेल, ग्रुप डी
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सरकारी प्रिंटिंग प्रेस प्रदेश में कुछ चिन्हित स्थानों पर ही हैं। रीवा के प्रेस में ११ जिलों के प्रमुख विभागों द्वारा प्रिंटिंग कराई जा रही है। जिसमें रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, पन्ना, छतरपुर आदि जिले शामिल हैं। अब इन सभी जिलों के विभागों को प्रिंटिंग के लिए भोपाल जाना होगा।
– पहले से चल रही थी बंद करने की तैयारी
रीवा के प्रिंटिंग प्रेस को बंद करने की तैयारी कई वर्ष पहले से चल रही थी। यह जयस्तंभ चौराहे में स्थित था, जहां की भूमि को पुनर्घनत्वीकरण योजना में शामिल करते हुए बिल्डर्स को दिया गया है। इसे करीब तीन वर्ष पहले ही जयस्तंभ से शहर के बजरंग नगर में स्थित जलसंसाधन विभाग के कार्यालय में अस्थाई रूप से शिफ्ट किया गया था। तभी से इसके भविष्य पर संकट मंडरा रहा था। बीते महीने ही आजादी के पहले चलाई जा रही प्रिंङ्क्षटग मशीनों को कबाड़ के भाव पर बेचा गया है।
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कर्मचारियों ने कहा, भावनात्मक लगाव रहा है संस्था से
सरकारी प्रिंटिंग प्रेस में बीते 28 साल से काम कर रहा हूं। इसमें दादा और पिता ने भी काम किया है। इस कारण भावनात्मक लगाव रहा है। सरकार ने बंद करने का निर्णय लिया है, जो भी निर्देश होगा उसका पालन करेंगे।
राकेश तिवारी, कर्मचारी
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41 वर्ष पहले इस प्रेस में इंकमैन के रूप में नौकरी शुरू की थी। इतने समय काम करते नई तकनीकि एवं कई उतार-चढ़ाव भी देखे। अपने आंखों से बंद होते देखना सहज नहीं होगा। सोचा था यहीं से सेवानिवृत्ति भी मिलेगी। सरकार का निर्णय है मानना ही होगा।
इंद्रमणि प्रसाद शुक्ला, सीनियर मशीनमैन
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तीन पुस्तें हमारी इसी प्रेस की कमाई से आगे बढ़ी हैं। पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति पर हूं। इससे भावनात्मक लगाव है, मीडिया से जानकारी मिली कि बंद हो रहा है तो पूरे परिवार को झटका लगा है। भरोसा नहीं हो रहा लेकिन जो होगा स्वीकार करेंगे।
दिनेश कुमार तिवारी, सीनियर मशीनमैन
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पति भी यहीं काम करते थे, उनकी जगह पर अनुकंपा नियुक्ति मिली है। परिवार की पूरी जिम्मेदारी है। यदि दूसरे शहर सरकार भेजेगी तो पूरे परिवार को लेकर जाना पड़ेगा। विषम परिस्थिति बन गई है, मांग है कि यहीं किसी दूसरे विभाग में रख दिया जाए।
किरण पटेल, ग्रुप डी
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