कई परिवार ऐसे हैं जिनके पास खाने के लिए अनाज नहीं है, इसलिए वह हर दिन आने वाले भोजन के पैकेट के लिए लाइन में खड़े हो रहे हैं। इस योजना के तहत उन लोगों को खाद्यान्न देने की तैयारी की गई है, जिनके पास रीवा शहर का राशन कार्ड नहीं है। मनमानी से अब इस योजना का कोई मतलब नहीं रह गया है। कई वार्डों के हितग्राहियों ने सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल किया है, जिसमें कहा है कि उनके घरों में अब भोजन का संकट है, प्रशासन व्यवस्था उपलब्ध कराए अन्यथा भूखों मरने की नौबत आ जाएगी।
कोरोना संक्रमण की वजह से शहर में आपात स्थिति घोषित है। महीनेभर से लॉकडाउन का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि ठेकेदार राशन दुकानों में खाद्यान्न नहीं पहुंचा रहा है। आपात स्थिति में ठेकेदार की मनमानी चल रही है और प्रशासन की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
नगर निगम ने शुरुआत में शहर में रह रहे 2456 लोगों को योजना के लिए पात्र माना था, इनके लिए खाद्यान्न का आवंटन भी कलेक्टर की ओर से किया गया था। बाद में कई वार्डों से सूची को लेकर शिकायतें आई कि नाम छोड़े गए हैं, इसलिए नए सिरे से तैयार की गई सूची में 8197 नाम जोड़े गए हैं। इसमें से अधिकांश के घर तक पर्चिंया भी नगर निगम ने पहुंचा दी लेकिन खाद्यान्न अब तक नहीं मिल रहा है। निगम के अधिकारियों का तर्क है कि उनकी ओर से प्रक्रिया समय पर पूरी की गई है, खाद्यान्न वितरण की जिम्मेदारी खाद्य विभाग की है।