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इसी वर्ष जनवरी में सेवानिवृत्त्त हुए प्राचार्य ओंकार नाथ पांडेय बताते हैं कि सभी के सहयोग से यह संभव हो पाया। उन्होंने बताया कि शहर के कुछ लोगों एवं अभिभावकों से बात की तो वे मदद के लिए आगे आए। उनके सहयोग से स्कूल में पानी की व्यवस्था हो पाई। जिससे पूरे परिसर में बागवानी की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल पाया। इसके साथ ही खाद – मिट्टी की व्यवस्था की गई।
शहर में और भी स्कूलें हैं लेकिन वहां इस तरह की व्यवस्था नहीं हैं। उजड़ा हुआ परिसर , पेड़ – पौधे भी नहीं। स्कूल के आस – पास सफाई भी नहीं। चाहें उत्कृष्ट विद्यालय हो या फिर मार्तण्ड क्रमांक एक दो एवं तीन का परिसर इस तरह की व्यवस्था कहीं नहीं है। उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक एक और दो की हालत तो और खराब है।