इन स्कूलों के अधिकांश शिक्षकों की ड्यूटी बोर्ड परीक्षाओं में लगाई गई है, जिसके चलते छात्रों ने भी स्कूल आना बंद कर दिया है। शासन का निर्देश है कि 17 से 19 फरवरी के बीच कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं में शैक्षणिक कार्यों का मूल्यांकन किया जाए। कोरोना काल की वजह से आफलाइन कक्षाएं बंद होने के दौरान 'हमारा घर-हमारा विद्यालय' नाम से अभियान चलाकर बच्चों के घरों में संपर्क कर उनका कोर्स पूरा कराने का निर्देश था। उत्तर पुस्तिकाएं भी जांचकर आंतरिक मूल्यांकन भी करना था लेकिन रीवा के साथ ही कुछ अन्य जिलों में यह अभियान काफी कमजोर स्थिति में रहा। जिसकी वजह से सरकार ने गंभीरता से लिया है और फिर से उक्त कार्यों का मूल्यांकन कराने का निर्देश दिया है। अब जिन्हें मूल्यांकन की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह आफिस में ही बैठकर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। यह रिपोर्ट हर दिन की सरकार के पास जानी है। शिक्षा विभाग के जिन अधिकारियों की ड्यूटी मूल्यांकन के लिए लगाई है उनका तर्क है कि बोर्ड परीक्षाओं की निगरानी की जिम्मेदारी भी है।
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इन अधिकारियों की लगाई गई मूल्यांकन में ड्यूटी
शासन स्तर से कलेक्टर को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि तीन दिनों तक करीब तीन घंटे तक स्कूलों में सघन जांच की जानी है। जिसके लिए संयुक्त संचालक लोक शिक्षण, उपसंचालक एवं सहायक संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी के साथ ही कार्यालय के सहायक संचालक, जिला शिक्षा केन्द्र से डीपीपी, एपीसी, बीआरसी, बीएसी आदि अधिकारियों को जिम्मेदारी मिली है कि वह मूल्यांकन करें कि छात्रों के घर जाकर किस तरह से कोर्स पूरा कराया गया है।
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ऐसे होनी है मानीटरिंग
- मानीटरकर्ता अधिकारी को हर दिन दो विद्यालयों में पहुंचकर २-३ घंटे रहकर सघन मानीटरिंग करना है।
- शतप्रतिशत स्कूल खुलने का निर्देश हो चुका है, इसलिए शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति लेंगे।
- बच्चों को दी गई शैक्षिक सामग्री एवं उनके द्वारा किया गया कार्य, शिक्षक द्वारा की गई इसकी जांच का मूल्यांकन करना है।
- शिक्षण कार्य के दौरान शिक्षकों द्वारा अभ्यास पुस्तिकाओं के क्यूआर कोड का प्रयोग किया गया है कि नहीं।
- शिक्षक द्वारा यदि बच्चों की कापियां नहीं जांची गई हैं तो मौके पर ही संबंधित शिक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी की जाएगी।
- संयुक्त संचालक 21 फरवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान प्रमुख सचिव को देंगे रिपोर्ट।
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शैक्षणिक गुणवत्ता की जिम्मेदारियां भी हुई तय
शिक्षकों द्वारा ठीक तरीके से काम नहीं किए जाने की वजह से स्कूल शिक्षा विभाग ने उनके कार्यों का मूल्यांकन शुरू कराया है। जिसमें अलग-अलग लोगों के लिए जिम्मेदारियां निर्धारित की गई हैं।
1-शिक्षक- शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वह छात्रों का कोर्स वर्क कराएं और उसकी नियमित जांच भी करें। जांच में केवल टिक नहीं लगाना है बल्कि जहां पर गलत है गोला लगाकर सही शब्द भी बताएं ताकि बच्चों को समझ में आए। छात्रों से गलतियां सुधारने के लिए कहें और उसे भी जांचें। हस्ताक्षर के साथ तारीख भी लिखना होगा।
2- डाइट, डीपीसी एवं प्राचार्य
डाइट एवं डीपीसी स्तर से पांच शालाओं को वीडियो कॉल कर व्यवस्थाओं की जानकारी लेना है। सभी जन शिक्षक शालाओं की मानीटरिंग कर बीइओ कार्यालय को रिपोर्ट करेंगे। एकीकृत शालाओं में संस्था के प्राचार्य उक्त रिपोर्ट तैयार करेंगे।
3- संभाग, जिला एवं ब्लाक के अधिकारी
शाला भ्रमण के दौरान अवलोकन पंजी में अपनी टीप जरूर अंकित करेंगे। मानीटरकर्ता अधिकारी किसी स्कूल के दस छात्रों की कापियां रेंडम आधार पर आन स्पाट जांचेंगे। स्कूलों के शिक्षकों को अधिकारी अपना सुझाव भी दे सकेंगे।
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आदिवासी अंचल में वर्कबुक बांटी ही नहीं
संयुक्त संचालक कार्यालय की एक टीम ने सिंगरौली और सीधी जिले की आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की स्कूलों का निरीक्षण किया। जहां पर पाया गया है कि शिक्षकों ने वर्कबुक का वितरण ही नहीं किया। छात्रों को पता ही नहीं कि उन्हें किस तरह से घर पर कोर्स का कार्य करना था। सिंगरौली जिले के धौहनी एवं सीधी जिले के पूर्व माध्यमिक शाला लोहझर में निरीक्षण किया। कमियां पाए जाने पर संयुक्त संचालक की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी की गई है।
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इन अधिकारियों की लगाई गई मूल्यांकन में ड्यूटी
शासन स्तर से कलेक्टर को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि तीन दिनों तक करीब तीन घंटे तक स्कूलों में सघन जांच की जानी है। जिसके लिए संयुक्त संचालक लोक शिक्षण, उपसंचालक एवं सहायक संचालक, जिला शिक्षा अधिकारी के साथ ही कार्यालय के सहायक संचालक, जिला शिक्षा केन्द्र से डीपीपी, एपीसी, बीआरसी, बीएसी आदि अधिकारियों को जिम्मेदारी मिली है कि वह मूल्यांकन करें कि छात्रों के घर जाकर किस तरह से कोर्स पूरा कराया गया है।
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ऐसे होनी है मानीटरिंग
- मानीटरकर्ता अधिकारी को हर दिन दो विद्यालयों में पहुंचकर २-३ घंटे रहकर सघन मानीटरिंग करना है।
- शतप्रतिशत स्कूल खुलने का निर्देश हो चुका है, इसलिए शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति लेंगे।
- बच्चों को दी गई शैक्षिक सामग्री एवं उनके द्वारा किया गया कार्य, शिक्षक द्वारा की गई इसकी जांच का मूल्यांकन करना है।
- शिक्षण कार्य के दौरान शिक्षकों द्वारा अभ्यास पुस्तिकाओं के क्यूआर कोड का प्रयोग किया गया है कि नहीं।
- शिक्षक द्वारा यदि बच्चों की कापियां नहीं जांची गई हैं तो मौके पर ही संबंधित शिक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी की जाएगी।
- संयुक्त संचालक 21 फरवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान प्रमुख सचिव को देंगे रिपोर्ट।
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शैक्षणिक गुणवत्ता की जिम्मेदारियां भी हुई तय
शिक्षकों द्वारा ठीक तरीके से काम नहीं किए जाने की वजह से स्कूल शिक्षा विभाग ने उनके कार्यों का मूल्यांकन शुरू कराया है। जिसमें अलग-अलग लोगों के लिए जिम्मेदारियां निर्धारित की गई हैं।
1-शिक्षक- शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वह छात्रों का कोर्स वर्क कराएं और उसकी नियमित जांच भी करें। जांच में केवल टिक नहीं लगाना है बल्कि जहां पर गलत है गोला लगाकर सही शब्द भी बताएं ताकि बच्चों को समझ में आए। छात्रों से गलतियां सुधारने के लिए कहें और उसे भी जांचें। हस्ताक्षर के साथ तारीख भी लिखना होगा।
2- डाइट, डीपीसी एवं प्राचार्य
डाइट एवं डीपीसी स्तर से पांच शालाओं को वीडियो कॉल कर व्यवस्थाओं की जानकारी लेना है। सभी जन शिक्षक शालाओं की मानीटरिंग कर बीइओ कार्यालय को रिपोर्ट करेंगे। एकीकृत शालाओं में संस्था के प्राचार्य उक्त रिपोर्ट तैयार करेंगे।
3- संभाग, जिला एवं ब्लाक के अधिकारी
शाला भ्रमण के दौरान अवलोकन पंजी में अपनी टीप जरूर अंकित करेंगे। मानीटरकर्ता अधिकारी किसी स्कूल के दस छात्रों की कापियां रेंडम आधार पर आन स्पाट जांचेंगे। स्कूलों के शिक्षकों को अधिकारी अपना सुझाव भी दे सकेंगे।
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आदिवासी अंचल में वर्कबुक बांटी ही नहीं
संयुक्त संचालक कार्यालय की एक टीम ने सिंगरौली और सीधी जिले की आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की स्कूलों का निरीक्षण किया। जहां पर पाया गया है कि शिक्षकों ने वर्कबुक का वितरण ही नहीं किया। छात्रों को पता ही नहीं कि उन्हें किस तरह से घर पर कोर्स का कार्य करना था। सिंगरौली जिले के धौहनी एवं सीधी जिले के पूर्व माध्यमिक शाला लोहझर में निरीक्षण किया। कमियां पाए जाने पर संयुक्त संचालक की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी की गई है।
घरों में संपर्क अभियान चला नहीं, अब जांच का निर्देश आया तो उसमें भी खानापूर्ति
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हमारा घर-हजारा विद्यालय अभियान चलाया गया था। उसमें किस तरह से छात्रों का कोर्स पूरा कराया गया और कैसे कापियां जांची गईं। इसका मूल्यांकन करने तीन दिन अभियान चलाना है। बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी होने से शिक्षक नहीं मिल रहे और छात्र भी काफी कम संख्या में आ रहे हैं। यह मूल्यांकन आगे भी जारी रहेगा।
एसके त्रिपाठी, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण
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हमारा घर-हजारा विद्यालय अभियान चलाया गया था। उसमें किस तरह से छात्रों का कोर्स पूरा कराया गया और कैसे कापियां जांची गईं। इसका मूल्यांकन करने तीन दिन अभियान चलाना है। बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी होने से शिक्षक नहीं मिल रहे और छात्र भी काफी कम संख्या में आ रहे हैं। यह मूल्यांकन आगे भी जारी रहेगा।
एसके त्रिपाठी, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण