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पानी जुटाने में ही गुजर जाता है हरिजन बस्ती के लोगों का पूरा दिन

locationरीवाPublished: May 28, 2019 12:58:25 pm

Submitted by:

Mahesh Singh

हैण्डपंप सूखे, पेयजल का नहीं है अन्य कोई इंतजाम, सांसद-विधायक भी गांव को भूले
 

Handpump Drought, Harijan Basti in not Water

Handpump Drought, Harijan Basti in not Water

रीवा. हरिजन बस्ती में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। जो हैण्डपंप थे वे सूख गए हैं और बस्ती में पानी का अन्य कोई स्रोत नहीं है। यही कारण है कि बस्ती के लोगों का पानी जुटाने में ही पूरा दिन गुजर जाता है। बस्ती के लोगों ने कई बार सरपंच, पीएचई विभाग के अधिकारियों एवं विधायक से पानी की व्यवस्था करने की मांग उठाई। लेकिन कहीं से भी कोई मदद करने नहीं आया।
जिले के गंगेव ब्लाक अंतर्गत ग्राम अमवा में पानी का भारी संकट है। हैण्डपंप सूख चुके हैं। कुएं में काफी नीचे पानी है। ऐसे में अमवा बस्ती के लोगों को पानी के लिए दूसरे गांव में जाना पड़ता है। बताया गया है कि यहां जल स्तर 500 फिट के भी नीचे पहुंच चुका है, जिससे इतनी गहराई में खोदने के बाद भी पानी नहीं मिल रहा है। दो हैण्डपंप हैं जो पूरी तरह से बंद हैं। पानी के लिए लोग अनिल चतुर्वेदी द्वारा खोदवाए गए कुंए का ही सहारा है।
पांच सौ फिट नीचे पहुंचा जलस्तर
छोटेलाल साकेत ने बताया कि उनके ग्राम में बोरवेल सफल नही हो पाते। 500 फिट गहरा खोदने के बाद भी पानी नहीं मिल पाता। हरिजन बस्ती अमवा में दो नलकूप उत्खनन का कार्य पूर्व में हुआ था लेकिन दोनों पानी नहीं दे रहे हैं। अब नलजल योजना ही सहारा बन सकती है।
पाइप लाइन बिछायी जाए
अमवा निवासी हेतलाल पटेल ने बताया कि यदि पीएचई विभाग कुएं में सरकारी मोटर पंप डाल दे और लगभग ढाई सौ मीटर की पाइपलाइन हरिजन बस्ती तक बिछवा दें तो वैकल्पिक तौर पर जलसंकट से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन विभाग से बार-बार मांग करने के बाद भी पाइप लाइन नहीं बिछवाई जा रही है।
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एसडीओ और उपयंत्री को जांच के लिए भेजूंगा। अमवा हरिजन बस्ती में जलसंकट का पता चला है। कूप के मालिक अनिल चतुर्वेदी का बस्ती निवासियों को पेयजल देने संबंधी सहमति पत्र भी प्राप्त हुआ है।
– शरद पटेल, कार्यपालन यंत्री पीएचई
हमारी बस्ती के लोग वर्षों से बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। हमने सरपंच, विधायक एवं सांसद बनाये लेकिन वोट लेने के बाद किसी ने हमारे लिए कुछ नहीं किया। आज हमारी यह स्थिति है कि दो किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। सिर्फ अनिल चौबे का कुआं ही सहारा है।
-छोटेलाल साकेत, निवासी ग्राम अमवा
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