मेडिसिन विभाग के डॉ. शैलेन्द्र मझवार के अनुसार डायबिटीज के रोगियों के पैरों में अल्सर की प्रमुख वजह नसों में रक्त का प्रवाह कम हो जाना है। जिससे डायबिटिक न्यूरोपैथी की स्थिति बन जाती है। पैरों में प्रथम लक्षण सुनपन एवं झनझनाहट महसूस होता है। धीरे-धीरे पैर फटने लगते हैं। फफोले पडऩे लगते हैं। सूजन आ जाती है। इस अवस्था को डायबिटिक फुट अल्सर कहते हैं। जो लोग दवाएं नहीं लेते हैं और शुगर नियंत्रित नहीं कर पाते हैं वह इसकी चपेट में आते हैं।
संजय गांधी अस्पताल के मेडिसिन विभाग की रिपोर्ट बताती है कि विंध्य में डायबिटिक फुट अल्सर गंभीर समस्या के रूप में सामने है। हर महीने कम से कम पांच और साल भर में 60 से अधिक केस भर्ती हो रहे हैं। इनमें से 10 फीसदी मरीजों में अल्सर के संक्रमण को अन्य अंगों तक पहुंचने से रोकने के लिए पैर काटने की नौबत आ रही है।
-पैरों की नियमित देखभाल करें।
-ज्यादा देर पैर को मोड़ कर न बैठें।
-गुनगुने पानी से पैरों की धुलाई करें।
-अत्यधिक ठंड और गर्मी से पैरों को बचाएं।
-ब्लड शुगर नियंत्रित रखें, नियमित जांच कराएं।
-गंदगी में कतई न चलें, मोजे साफ ही पहने।
-चप्पल-जूते कठोर सोल के कतई न पहने।
-फफोले या सूजन आने पर चिकित्सक को दिखाएं।