script45 साल की उम्र में चलने-फिरने से लाचार | Helpless to walk at age 45 | Patrika News

45 साल की उम्र में चलने-फिरने से लाचार

locationरीवाPublished: Oct 12, 2017 04:06:32 pm

Submitted by:

Dilip Patel

महिला में डायबिटीज का भयावह रूप …संजय गांधी अस्पताल में चल रहा उपचार, नियमित जांच में लापरवाही से पैदा हुआ डायबिटिक फुट अल्सर का संक्रमण

Helpless to walk at age 45

Helpless to walk at age 45

रीवा। डायबिटीज बीमारी का भयावह रूप एक महिला मरीज में सामने आया है। उसके पैरों में सडऩ पैदा हो गई है। जिसके चलते वह 45 साल की उम्र में ही चलने-फिरने से लाचार हो गई है। उसे उपचार के लिए संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सीधी जिले के चुरहट की रहने वाली 45 वर्षीय सुमन लंबे समय से डायबिटीज से पीडि़त हैं। शुगर का स्तर नियंत्रित रखने के लिए नियमित जांच में लापरवाही बरती गई। जिसके कारण डायबिटीज जैसी चुप्पी बीमारी ने भयावह रूप ले लिया है।
महिला के दांए पैर में जहां सडऩ पैदा हो गई है वहीं बायां पैर बेहद कमजोर हो गया है। चलना-फिरना तो दूर की बात अब वह पैर पर खड़ी भी नहीं हो पा रही है। संजय गांधी अस्पताल के मेडिसिन विभाग में उसे भर्ती किया गया है। सीएमओ डॉ. यत्नेश त्रिपाठी ने मरीज को भर्ती करते वक्त परिजनों को बताया है कि पैर में डायबिटिक फुट अल्सर का संक्रमण पैदा हो गया है। अगर दवाओं से यह ठीक नहीं हुआ तो पैर काटने की नौबत आ सकती है। मालूम हो कि विंध्य में डायबिटीज के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अकेले रीवा जिले में ढाई लाख लोग इस बीमारी की चपेट में है। यह रिपोर्ट भारतीय रेडक्रास सोसायटी स्वास्थ्य विभाग को सौंप चुकी है। डायबिटिक फुट अल्सर के बढ़ते खतरे से भी अवगत करा चुकी है। सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, पन्ना, छतरपुर तक से केस आ रहे हैं।
क्या है डायबिटिक फुट अल्सर
मेडिसिन विभाग के डॉ. शैलेन्द्र मझवार के अनुसार डायबिटीज के रोगियों के पैरों में अल्सर की प्रमुख वजह नसों में रक्त का प्रवाह कम हो जाना है। जिससे डायबिटिक न्यूरोपैथी की स्थिति बन जाती है। पैरों में प्रथम लक्षण सुनपन एवं झनझनाहट महसूस होता है। धीरे-धीरे पैर फटने लगते हैं। फफोले पडऩे लगते हैं। सूजन आ जाती है। इस अवस्था को डायबिटिक फुट अल्सर कहते हैं। जो लोग दवाएं नहीं लेते हैं और शुगर नियंत्रित नहीं कर पाते हैं वह इसकी चपेट में आते हैं।
साल भर में 60 से अधिक केस
संजय गांधी अस्पताल के मेडिसिन विभाग की रिपोर्ट बताती है कि विंध्य में डायबिटिक फुट अल्सर गंभीर समस्या के रूप में सामने है। हर महीने कम से कम पांच और साल भर में 60 से अधिक केस भर्ती हो रहे हैं। इनमें से 10 फीसदी मरीजों में अल्सर के संक्रमण को अन्य अंगों तक पहुंचने से रोकने के लिए पैर काटने की नौबत आ रही है।
ये सावधानियां रखें
-पैरों की नियमित देखभाल करें।
-ज्यादा देर पैर को मोड़ कर न बैठें।
-गुनगुने पानी से पैरों की धुलाई करें।
-अत्यधिक ठंड और गर्मी से पैरों को बचाएं।
-ब्लड शुगर नियंत्रित रखें, नियमित जांच कराएं।
-गंदगी में कतई न चलें, मोजे साफ ही पहने।
-चप्पल-जूते कठोर सोल के कतई न पहने।
-फफोले या सूजन आने पर चिकित्सक को दिखाएं।
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