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यहां शवों को अस्पताल में छोडक़र भाग रहे लोग, परिजनों को ढूंढ़ कर ला रही पुलिस तब हो रहा अंतिम संस्कार

locationरीवाPublished: Oct 13, 2017 04:12:17 pm

Submitted by:

Dilip Patel

एक माह में चार मामले आए सामने, संजय गांधी अस्पताल की मर्चुरी में कई दिन तक रखने पड़े शव

Rewa

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रीवा। रिश्तों की डोर क्या इतनी कमजोर हो गई… क्या लोग इतने संवेदनहीन हो सकते हैं… कि अपनों की मौत के बाद शव अस्पताल में ही छोड़ कर भाग जाएं। लेकिन वर्तमान हालात तो यही बता रहे हैं। कभी बेटी तो कभी बहू और पत्नी का शव मर्चुरी में लावारिस रखा जा रहा है। पुलिस परिजनों को खोजती है और पकडक़र लाती है तब जाकर कहीं शव का अंतिम संस्कार हो रहा है। विंध्य में मानवता को शर्मसार करने वाले कई ऐसे मामले पिछले कुछ दिनों में सामने आए हैं। जिन्होंने रिश्तों को कंलकित कर दिया है।
…और एक शव को चिता का इंतजार
संजय गांधी अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में 50 साल के एक अज्ञात वृद्ध का शव रखा है। 7 अक्टूबर को उसकी मौत हुई थी। अस्पताल पुलिस चौकी ने सभी थानों को सूचना दे दी है। विश्वविद्यालय थाना की द्वारा अस्पताल के सीएमओ को बताया है कि यह निराला नगर में रहता था। परिजनों की तलाश जारी है।
पत्नी का छोड़ा शव

रीवा के समान थाना अन्तर्गत छत्रपति नगर निवासी नीलू अग्रवाल पति संजय (२८) की तबियत खराब थी। उसे उपचार के लिए संजय गांधी अस्पताल के गंभीर रोगी वार्ड में भर्ती कराया था। 9 अक्टूबर को दोपहर एक बजे महिला की मौत हो गई। इसके बाद पति गायब हो गया। चार घंटे महिला का शव अस्पताल में ही पड़ा रहा। मायके वालों की सूचना पर पुलिस उसके पति को पकड़ कर लाई। तब नीलू के शव का अंतिम संस्कार हो सका।
बेटी को छोड़ गए

पन्ना के अजयगढ़ सरदम निवासी दस वर्षीय बेटी राधा विश्वकर्मा को संजय गांधी अस्पताल में भर्ती किया गया था। जलने से उसकी हालत गंभीर थी। परिजन उसे भर्ती करने के बाद घर चले गए और लौट कर नहीं आए। 7 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने पोस्टमार्टम हाउस में शव को रखने के साथ पुलिस को सूचना दी। परिजनों को खोजने के बाद पुलिस गुरुवार १२ अक्टूबर को उसके पिता को साथ लेकर आई। तब उसका अंतिम संस्कार हो सका।
बहू से किया किनारा

बात 5 सितंबर की है। दाहिया परिवार की एक 40 वर्षीय महिला को संजय गांधी अस्पताल में भर्ती किया गया था। उसी रात उसकी मौत हो गई थी। परिजन शव छोडक़र भाग गए थे। पंजीयन कक्ष में मौजूद रिकार्ड के जरिए उसका पता ढूंढ़ा गया। इसके बाद पुलिस परिजनों को खोजने में सक्रिय हुई। पीटीएस चौराहे के समीप से दूसरे दिन पुलिस पति और ससुराल वालों को लेकर आई। जिसके बाद उसकी चिता को आग नसीब हुई।
चंदा कर हुआ अंतिम संस्कार

गुरुवार को पन्ना से राधा विश्वकर्मा के शव को लेने पहुुंचे उसके पिता डॉक्टरों के सामने रोने लगे। कहा बहुत गरीब हूं। बेटी के अंतिम संस्कार तक के पैसे नहीं है। यह सुन सीएमओ डॉ. अतुल सिंह ने चंदा किया। 1500 रुपए उसे दिए और शव वाहन से रीवा के बंदरिया घाट भेजा। जहां पिता ने अंतिम संस्कार किया।

जब हमारे पास सूचना आती है कि कोई शव छोड़ कर भाग गया बहुत दुख होता है। एक महीने में चार केस आए हैं। जिनमें से तीन केस में परिजनों की तलाश कर शव सुपुर्द किए गए हैं। एक वृद्ध का शव अभी भी मर्चुरी में रखा है।
डॉ. अतुल सिंह, कैजुअलिटी मेडिकल ऑफीसर, एसजीएमएच रीवा।
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