हाइकोर्ट ने अहम फैसले में कहा है कि धारा १८८ आइपीसी(लोकसेवक के विधिपूर्ण की अवमानना के मामले में) एफआइआर के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है। पुलिस के पास एफआइआर दर्ज करने का सीधे अधिकार नहीं है। धारा १८८ के उल्लंघन के मामले में दंडप्रक्रिया संहिता की धारा १९५(अ) के अधीन उपबंधों के अनुसार मजिस्ट्रेट के यहां परिवाद दायर करनी चाहिए।
अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने बताया कि सिरमौर निवासी सर्वेश सोनी जो डाकपाल के पद पर कार्यरत है के विरुद्ध सिरमौर एसडीएम के मौखिक सूचना पर ३० अक्टूबर २०१८ को एफआइआर दर्ज की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि सोशल मीडिया एकाउंट में एक कवर फोटो को विधानसभा चुनाव की आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए धारा १८८ के तहत कारवार्ई की गई। उक्त फोटो आचार संहिता के पहले १६ सितंबर के वन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम की है।
जिसमें याचिकाकर्ता को मंत्री राजेन्द्र शुक्ला और विधायक दिव्यराज सिंह द्वारा सम्मानित किया गया था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सिरमौर में हैंडपंपों में अतिक्रमण के मामले में शिकायत की थी, जिसमें रसूखदारों का भी नाम था। इसीलिए एसडीएम ने उनके कहने के अनुसार एफआइआर दर्ज करवाई। जस्टिस एके श्रीवास्तव की कोर्ट ने माना है कि एसडीएम ने दुर्भावनापूर्वक कार्रवाई की है। इसलिए एफआइआर को निरस्त कर दिया है। न्यायिक दृष्टांत में भी इस प्रकरण का उल्लेख करने का निर्देश दिया गया है। अब धारा १८८ से जुड़े प्रकरणों में इस फैसले का उल्लेख किया जा सकेगा।