हाइकोर्ट में 6488 प्रकरणों में जवाबदावा पेश करना भूले अफसर, 30 साल से प्रकरण लंबित
जिले में वर्ष 1990 से अब तक के बीच हाईकोर्ट में लंबित प्रकरण में विभागीय अधिकारियों की अनदेखी , राजस्व, गृह विभाग की दो हजार से ज्यादा मामले लंबित, कोर्ट से कलेक्टर कार्यालय पहुंचे पत्र में उजागर हुई जिम्मेदारों की अनदेखी

रीवा. जिले में राजस्व-गृह, शिक्षा, जल संसाधन विभाग सहित विभिन्न विभागों से जुड़े प्रकरण हाइकोर्ट में लंबे समय से चल रहे हैं। जिसमें करीब तीस साल से लेकर अब तक लंबित ज्यादातर प्रकरणों में विभागीय अधिकारी जवाब दावा पेश करना भूल गए हैं। जिले में इस तरह के लगभग साढ़े छह हजार प्रकरण लंबित हैं। जबकि 1667 प्रकरणों में जवाब दावा प्रस्तुत किए गए हैं। जिसमें वर्ष 1990 से 2019 तक के लंबित प्रकरण शामिल हैं। ज्यादातर प्रकरणों में विभाग के अधिकारी जवाब दावा के साथ दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। जिला प्रशासन ने हाइकोर्ट के बेवसाइट की जानकारी के आधार पर संबंधित विभागों के अधिकारियों को प्रकरणों में जवाबदावा प्रस्तुत करने निर्देश दिया है।
जनवरी 1990 से चल रहे प्रकरण
जिला प्रशासन ने विभागीय अधिकारियों को सूचित किया है कि हाइकोर्ट में जनवरी 1990 से लेकर दिसंबर 2019 तक लंबित प्रकरणों में जवाब दाता प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। जबकि 1667 प्रकरणों मे जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है। कलेक्टर कार्यालय ने विभागीय अधिकारियों को पत्र भेजकर हाइकोर्ट में लंबित प्रकरणों में दस्तावेज सहित जवाबदाता प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जिले में सबसे ज्यादा राजस्व, गृह विभाग के मामलों की सुनवाई चल रही है।
राजस्व व गृह विभाग के सबसे ज्यादा प्रकरण
जिले में 53 विभागों के मामले हाइकोर्ट में लंबे समय से लंबित हैं जिसमें अकेले राजस्व विभाग के लगभग 2800 से ज्यादा प्रकरण हैं। इसी तरह गृह विभाग के 2 हजार से अधिक प्रकरण लंबित हैं। जिसमें विभागीय अधिकारियों के द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। इसी तरह पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के 393, जल संसाधन विभाग के 251, स्कूल शिक्षा विभाग के 389 प्रकरण लंबे समय से लंबित हैं। इसके अलावा अन्य विभागों में लंबित की संख्या 100 से नीचे है। जबकि जेल, खेल एवं युवा, लोक सेवा आयोग, धार्मिक न्याय एवं धर्मस्व विभााग, रजिस्टर्ड फर्म एवं सोसायिटी विभाग के एक-एक प्रकरण लंबित हैं।
इन प्रकरणों में भेजा आदेश
उदाहरण के तौर पर जवा तहसील क्षेत्र के ग्राम इटमा में राधामदन मोहन स्वामी मंदिर के मामले में जांच प्रतिवेदन के संबंधि में स्पष्ट अभिमत नहीं प्रस्तुत किया गया है। धर्मास्व विभाग ने जवा तहसीलदार को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि उच्च न्यायालय जलबपुर में उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत किया जाए। इसी तरह हुजूर तहसीलदार को संदीप कुमार मिश्र विरूद्ध शासन मामले में लंबे समय से जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है। कलेक्टर कार्यालय से दो दिन पहले हुजूर तहसीलदार कार्यालय को पत्र भेजकर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। उधर, शिक्षा विभाग कें वर्ष 2011 से लंबित प्रकरण में शिवशंकर कहार बनाम शासन के मामले में बीइओ को पत्र भेजा गया है। इसके अलावा मऊगंज सीइओ को रोजगार सहायक रोहित कुमार गुप्ता के प्रकरण में जवाब प्रस्तुत करने के लिए पत्र भेजा गया है। इस तरह के लंबित प्रकरणों के मामले में सभी विभागों को पत्र भेजा जा रहा है।
इन विभागों के ओवाइसी नहीं प्रस्तुत कर रहे जवाब
नगरीय प्रशासन एवं विकास, परिवहन, पुनर्वास, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, प्रदूषण कंर्टोल बोर्ड, सामाजिक न्याय, नर्मदा घाटी विकास, चिकित्सा शिक्षा, सूचना एवं प्रोद्योगिकी, लोकायुक्त, आयुष, सामान्य प्रशासन, वन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, किसान कल्याण एवं कृषि, आवास एवं पर्यावरण, ऊर्जा विभाग, विधि और विधायी कार्य, नगर तथा ग्राम निवेश, तकनीकिी शिक्षा एवं कौशल विकास,पेंशन, खनिज साधन, योजना एवं सांख्यिकी, वाणिज्य उद्योग, संस्कृति, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सहकारिताप, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण, मध्य प्रदेश गृह निर्माण, आदिम जाति कल्याण, महिला एवं बाल विकास, श्रम, नगर निगम, कमिश्नर, वाणिज्यकर, जैव विविधता, उच्च शिक्षा, पशुपालन आदि विभाग शामिल हैं।
वर्जन...
विभागों के द्वारा कोर्ट में चल रहे प्रकरणों में जवाब दावा प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इसकी रेगुलर समीक्षा की जाती है। बीच-बीच में विभाग के अधिकारी बदल जाते हैं। जिससे विभाग प्रमुखों व प्रकरणो के नियुक्त किए गए ओवाइसी को समय-समय पर जवाबदावा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
बसंत कुर्रे, कलेक्टर
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