– .. तो 100 दिन ही मिलेंगे कोर्स के लिए
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए अकादमिक कैलेंडर के तहत एक जुलाई से लेकर ३१ मार्च तक में 275 दिन कुल होते हैं। इसमें अवकाश और सेमेस्टर परीक्षा को अलग कर दें तो 188 दिन ही बचते हैं। ऐसे में करीब दो महीने का समय प्रवेश प्रक्रिया में निकल जाएगा। साथ ही सितंबर महीने में छात्र संघ के चुनाव प्रस्तावित हैं। इसमें भी तीन से चार सप्ताह तक कालेजों की पढ़ाई नहीं हो पाएगी, चुनाव में ही अधिकांश छात्र उलझ जाएंगे और कक्षाएं ठप हो जाएंगी। इसके बाद महज करीब १०० दिन ही छात्रों को कोर्स पूरा करने के लिए मिलेंगे।
– अतिरिक्त क्लास लगाने की अभी से उठ रही मांग
छात्रों को अधिक से अधिक प्रवेश देने के साथ ही छात्र संगठन एनएसयूआई ने यह भी मांग उठाई है कि जो छात्र देर से प्रवेश की वजह से आएंगे। उनका कोर्स पूरा कराने के लिए कालेजों में अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाएं। इसके लिए टीआरएस कालेज और जीडीसी में प्रबंधन से मांग की जा चुकी है।
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अभी प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। खाली सीटों पर पात्र छात्राओं को प्रवेश देना भी जरूरी है। कक्षाएं प्रारंभ होंगी और छात्राएं यह आभाष करेंगी कि कोर्स पूरा नहीं हो पा रहा है तो अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर हर हाल में उनका कोर्स पूरा कराएंगे।
डॉ. नीता सिंह, प्राचार्य जीडीसी
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छात्रों ने कहा, रिजल्ट पर पड़ेगा असर
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प्रवेश प्रक्रिया अधिक समय तक चलने से शैक्षणिक कार्य प्रभावित होगा। कालेजों का स्टाफ काउंसिलिंग एवं अन्य कार्यों में जुटा है। हमने मांग उठाई है कि जो छात्र देरी से आएंगी उनके लिए अतिरिक्त क्लास लगाई जाए ताकि अन्य छात्रों की तरह उनका भी प्रवेश हो सके।
अभिषेक तिवारी, समन्वयक एनएसयूआई
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कालेज में एडमिशन चल रहा है, जिसकी वजह से हमारी कक्षाएं प्रभावित हो रही हैं। टीचर क्लास में आते ही नहीं, इसलिए अभी से मन में दबाव है कि कोर्स कैसे पूरा हो पाएगा।
शुभम तिवारी, पीजी छात्र टीआरएस कालेज
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छह महीने का सेमेस्टर है, अभी तो सितंबर पूरा एडमिशन एवं छात्रसंघ चुनाव में गुजर जाएगा। दिसंबर में पेपर होने लगेगा, ऐसे में कोई छात्र अपना कोर्स कैसे पूरा कर पाएगा। यह तो शासन स्तर पर व्यवस्था बनाने की बात है।
सूर्यदीप पाण्डेय, छात्र एपीएस विश्वविद्यालय
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कालेज में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है, इसके साथ कुछ कक्षाएं प्रारंभ हो रही हैं लेकिन सभी टीचर नहीं आते। इसलिए बिना पढ़े ही लौटना पड़ रहा है। इससे कोर्स वर्क पर असर पड़ रहा है।
आकांछा तिवारी, छात्रा टीआरएस कालेज