कुल लगी एक लाख रुपए की लागत
गांव की जमीन में पपीता का तीन हजार पौधा लगाने वाले प्रभाकर बताते हैं कि अगस्त २०१६ में सेवानिवृत्त हुए तो उन्होंने खाली बैठने के बजाए खेती करने का निर्णय लिया। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. राजेश सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने पपीता लगाने का मशविरा दे दिया।
गांव की जमीन में पपीता का तीन हजार पौधा लगाने वाले प्रभाकर बताते हैं कि अगस्त २०१६ में सेवानिवृत्त हुए तो उन्होंने खाली बैठने के बजाए खेती करने का निर्णय लिया। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. राजेश सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने पपीता लगाने का मशविरा दे दिया।
अब बाजार की तलाश में हैं प्रभाकर
प्रभाकर को कृषि वैज्ञानिक का सुझाव बेहतर लगा। नवंबर 2017 में पूरे तीन एकड़ में उन्होंने 3200 पौधे रोप दिए। करीब एक लाख रुपए की लागत से तैयार हुए तीन हजार पपीते के पौधों में अब फल आने शुरू हो गए हैं। पौधों में फल आने के बाद प्रभाकर ऐसे बाजार की तलाश में हैं, जहां उन्हें उनके उत्पाद की बेहतर कीमत मिल सके।
प्रभाकर को कृषि वैज्ञानिक का सुझाव बेहतर लगा। नवंबर 2017 में पूरे तीन एकड़ में उन्होंने 3200 पौधे रोप दिए। करीब एक लाख रुपए की लागत से तैयार हुए तीन हजार पपीते के पौधों में अब फल आने शुरू हो गए हैं। पौधों में फल आने के बाद प्रभाकर ऐसे बाजार की तलाश में हैं, जहां उन्हें उनके उत्पाद की बेहतर कीमत मिल सके।
मिलेगा तीन वर्ष तक उत्पादन
प्रभाकर के मुताबिक उन्होंने ताइवान ***** रेड लेडी किस्म का पौधा लगाया है। जिससे उन्हें तीन वर्ष तक उत्पादन मिलेगा। हालांकि पहले वर्ष की तुलना में दूसरे और तीसरे वर्ष का उत्पादन कम होगा। लेकिन इन तीन वर्षों में खेत से उन्हें इतना उत्पादन मिलेगा। जिसकी कीमत लाखों रुपए में होगी।
प्रभाकर के मुताबिक उन्होंने ताइवान ***** रेड लेडी किस्म का पौधा लगाया है। जिससे उन्हें तीन वर्ष तक उत्पादन मिलेगा। हालांकि पहले वर्ष की तुलना में दूसरे और तीसरे वर्ष का उत्पादन कम होगा। लेकिन इन तीन वर्षों में खेत से उन्हें इतना उत्पादन मिलेगा। जिसकी कीमत लाखों रुपए में होगी।
इलाहाबाद की मंडी में जाएगा उत्पादन
वैसे तो प्रभाकर के पास व्यापारियों के आने का सिलसिला पौधों में फूल लगने के साथ ही शुरू हो गया है। लेकिन वह अभी यह निर्णय नहीं ले सके हैं कि पपीता की उपज वह स्थानीय मंडी में बेचे या फिर इलाहाबाद की मंडी में। दरअसल इलाहाबाद की मंडी से भी कई व्यापारियों ने उनसे संपर्क किया है।
वैसे तो प्रभाकर के पास व्यापारियों के आने का सिलसिला पौधों में फूल लगने के साथ ही शुरू हो गया है। लेकिन वह अभी यह निर्णय नहीं ले सके हैं कि पपीता की उपज वह स्थानीय मंडी में बेचे या फिर इलाहाबाद की मंडी में। दरअसल इलाहाबाद की मंडी से भी कई व्यापारियों ने उनसे संपर्क किया है।
उत्पादन व आमदनी की उम्मीद
03 एकड़ पपीता के खेत का रकबा
03 हजार पौधों की कुल संख्या
01 क्विंटल प्रति पौधे से उत्पादन
02 हजार रुपए प्रति क्विंटल कीमत
60 लाख रुपए कुल आमदनी की उम्मीद
03 एकड़ पपीता के खेत का रकबा
03 हजार पौधों की कुल संख्या
01 क्विंटल प्रति पौधे से उत्पादन
02 हजार रुपए प्रति क्विंटल कीमत
60 लाख रुपए कुल आमदनी की उम्मीद