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असाध्य रोगों की अचूक दवा हैं होम्योपैथिक की मीठी गोलियां

locationरीवाPublished: Apr 10, 2023 08:32:00 am

Submitted by:

Mahesh Singh

रीवा. होम्योपैथ दो शब्दों से बनता है, होम्यो और पैथ। इसकी शुरूआत 1807 में सैमुएल हेनीमैन ने की थी और हर साल 10 अप्रैल को होम्यौपैथ के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए होम्योपैथ दिवस के रूप में मनाया जाता है। होम्योपैथी के जनक जर्मन मूल के ईसाई फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन की 266वीं जयंती है।

Homeopathic pills are the perfect medicine for incurable diseases

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दरअसल होम्यो का मतलब होता है एक जैसा और पैथी का मतलब होती है बीमारी। मतलब साफ है कि यह चिकित्सा पद्धति इस बात पर काम करती है लोहा को सिर्फ लोहा काट सकता है। होम्योपैथी की लिक्विड के साथ ही अब पेटेंट दवाइयां भी बाजार में उपलब्ध हैं।
यह है खासियत
19वीं शताब्दी से ही होम्योपैथिक दवाओं और डॉ. हैनिमैन द्वारा तैयार की दवा की प्रणाली पर लोगों का भरोसा लगातार बढ़ता जा रहा है। होम्योपैथी को वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में जाना जाता है। इसकी दवाओं का असर भले ही धीरे होता है, लेकिन यह रोगों को जड़ से दूर करता है। सबसे खास बात यह कि होम्योपैथी दवाओं के साइडइफेक्ट नहीं के बराबर होते हैं।
इन बीमारियों के लिए कारगार
होम्योपैथी चिकित्सा कई असाध्य रोगों में कारगर है। जैसे डायरिया, सर्दी-जुकाम, बुखार, गठिया, अस्थमा, त्वचा संबंधी रोग, मधुमेह, पाइल्स, किसी भी तरह के तनाव और दर्द में जल्दी काम करती है और साइडइफेक्ट नहीं होता है। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, कार्डियोवैस्कुलर बीमारी की रोकथाम और मैमोरी पॉवर बढ़ाने में अन्य दवाओं की अपेक्षा ज्यादा कारगर होती हैं। गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए सुरक्षित भी है।
बरतें ये सावधानियां
– दवाओं को सावधानी से हमेशा सामान्य तापमान पर रखें
– डोज ओवरलैप न करें, निर्धारित समय पर ही दवा लें
-दवाओं को हाथों से न छुएं, शीशी से सीधे मुह में लें
– होम्योपैथिक दवाओं के सेवन के दौरान कच्चे प्याज, लहसुन और काफी के साथ ही पान, गुटखा और स्मोकिंग भी नहीं करना चाहिए।
-कांच के गिलास में खाएं दवाएं, होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कभी भी मेटल के गिलास में नहीं करना चाहिए।

एक्सपर्ट व्यू्
एक मरीज को सबसे ज्यादा इस बात से फर्क पड़ता है कि उसकी बीमारी जल्दी ठीक हो जाए। फिर चाहे दवा होम्योपैथिक हो या एलोपैथिक। कई लोग एलोपैथिक दवाएं खाकर थक जाते हैं तो होम्योपैथ का सहारा लेते हैं। यह कई असाध्य बीमारियों में कारगर है और इसके इस्तेमाल से रोगी को आराम भी मिलता है। लेकिन होम्योपैथी दवा खाने के नियमए कायदे सब अलग हैं। यदि मरीज उन कायदों व नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके ठीक होने की संभावना काफ ी कम होती है। यह पद्धति काफ ी हद तक प्राकृतिक पद्धति से जुड़ी हुई है।
-डॉ. शैलेन्द्र पटेल, वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक

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