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लॉकडाउन में दिहाड़ी काम करने वालों का कैसे कट रहा जीवन, यहां जानिए उन्हीं की जुबानी

locationरीवाPublished: Mar 27, 2020 09:53:26 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– प्रशासन की ओर से कोई जिम्मेदार अब तक हाल पूछने तक नहीं पहुंचा

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रीवा। कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन करने का असर उन परिवारों पर सीधे तौर पर पड़ रहा है जो दिहाड़ी रूप से काम करते रहे हैं। पूरा शहर बंद होने की वजह से उनका रोजगार भी ठप हो गया है। हर दिन कमाने और उसी से राशन की व्यवस्था करने वालों के लिए अब बड़ा संकट उत्पन्न होने लगा है। केन्द्र सरकार ने राहत की घोषणा तो की है लेकिन वह इन गरीबों तक कब पहुंचेगी इसकी समय सीमा अभी तय नहीं हुई है। स्थानीय स्तर पर प्रशासन का अमला अब तक ऐसी बस्तियों तक नहीं पहुंचा है। कुछ जनप्रतिनिधि जरूर पहुंंच रहे हैं और कोरोना संक्रमण के बारे में बताकर सफाई व्यवस्था का ध्यान रखने की सलाह दे रहे हैं। प्रधानमंत्री के आह्वान पर रीवा को भी १४ अप्रेल तक के लिए लॉकडाउन किया गया है। इस अवधि तक गरीबों के झोपड़े में भोजन का इंतजाम नहीं है। कुछ परिवार ऐसे हैं जो करीब सप्ताह भर का समय गुजार सकते हैं लेकिन अधिकांश के सामने अब पेट भरने का संकट उत्पन्न होने जा रहा है। शहर के वार्ड क्रमांक १४ में स्थित स्लम बस्ती में कई परिवार ऐसे हैं जिनके पास राशन की कमी होने लगी है। बस्ती के लोगों का कहना है कि जो कुछ पैसे हैं उससे खरीदने के लिए यदि बाहर निकलते हैं तो पुलिस लाठियां मारती है।
– कीटनाशकों का छिड़काव नहीं हो रहा
बस्ती के लोगों ने कहा कि उनके यहां गंदगी हर समय बनी रहती है। नगर निगम पहले कर्मचारियों को भेजकर कीटनाशकों का छिड़काव कराता था लेकिन इस समय वह भी बंद हो गया है। प्रशासन की ओर से कोई नहीं आया है। पार्षद रूपा जायसवाल और उनके पति राजकुमार ने समस्याएं पूछी हैं और अधिकारियों से फोन पर बात भी किया था, जहां से आश्वासन मिला था कि आएंगे लेकिन कोई नहीं आया। पड़ोस के मोहल्ले में दवा का छिड़काव करने वाली गाड़ी आई थी, इसलिए उन्हें भी उम्मीद है कि बस्ती में भी इंतजाम होगा।


हम हर दिन कमाने और उसी से परिवार का भरणपोषण करने वाले लोग हैं। हमारे पास अधिकतम सप्ताह भर की व्यवस्था होती है। सुना है कि तीन सप्ताह तक सबकुछ बंद रहेगा। ऐसे में बड़ी समस्या उत्पन्न होगी, परिवार क्या खाएगा यह संकट बना हुआ है।
स्वामीदीन कोल, आदिवासी बस्ती समान


बाहर काम बंद हो गए हैं, पुलिस घर से सड़क पर निकलने नहीं दे रही है। भोजन की व्यवस्था अब कैसे होगी यह सोचकर पूरा परिवार परेशान है। इस परेशानी पर कोई अधिकारी यह तक पूछने नहीं आ रहा है कि हमारी क्या जरूरतें हैं। राशन का इंतजाम बस्ती के लोगों के लिए कराया जाए।
विमला देवी, आदिवासी बस्ती

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