अब बात करते हैं कि अक्सर यह देखा जाता है कि आम आदमी तमाम कठिनाइयों का सामने करते हुए जीवन निर्वाह कर रहा होता है। ऐसे में उसके धैर्य का बांध टूटता है तभी वह प्रशासन और शासन से गुहार लगाता है। लेकिन आम आदमी की यह गुहार भी बहुधा नकार दी जाती है। प्रशासनिक अधिकारी भी आमजन की फरियाद को नजरंदाज कर देते हैं।
वर्तमान दौर कोरोना संक्रमण का है, इस दौर में बहुतेरे प्रशासनिक अफसर लगातार लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने में जी जान से जुटे हैं। लेकिन इस दौर में भी कोरोना के अलावा भी बहुतेरी दिक्कतें है जिनका समाधान होना ही चाहिए। इसी लिहाज से शासन स्तर से हेल्पलाइन नंबर 181 जारी की गई है। इस हेल्पलाइन पर रोजाना सैकड़ों शिकायतें दर्ज हो रही हैं। लेकिन उनका निराकरण समय से नहीं हो रहा।
अब शासन में बैठे अफसर और जनप्रतिनिधि इस हेल्पलाइन को लगातार चेक करते रहते हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर शिकायतों का पुलिंदा बढ़ता ही जा रहा है। यही वजह है कि लोगों में आक्रोश पनप रहा है, शिकायतकर्ता असंतुष्ट हो रहा है। इन्हीं सब को लेकर रीवा के कलेक्टर इलैया राजा टी ने अधकिारियों को साफ कह दिया है कि शिकायतों का हर हाल में निराकरण होना चाहिए और इसके परिणाम आने चाहिए।
कलेक्टर ने कहा है कि अधिकारी अपनी विभागीय योजनाओं तथा गतिविधियों पर ध्यान दें तो सीएम हेल्पलाइन में न्यूनतम आवेदन पत्र दर्ज होंगे। हमारी सेवाओं में कमी होने पर ही आमजन सीएम हेल्पलाइन में आवेदन दर्ज करने के लिए विवश होते हैं। आवेदक से संवाद करके कई प्रकरणों का निराकरण किया जा सकता है। उन्होंने यह माना की अगर अधकिारी-कर्मचारी काम सही तरीके से करें तो आम जन ऊपर के अधिकारियों को शिकायत नहीं करेंगे। शिकायत का समय पर निराकरण नहीं होने के कारण उसकी संख्या भी बढ़ रही है।
हाल ही में कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों के निराकरण की समीक्षा की तो अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही उजागर हुई। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी व्यक्तिगत रूचि लेकर सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों के निराकरण करें। कई प्रकरणों में ठीक से प्रतिवेदन दर्ज न करने के कारण उनका निराकरण नहीं हो पा रहा है। अधिकारी सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों के निराकरण के लिए अपने कार्यालय में दल तैनात कर दें। अधिकारी लंबित प्रकरणों के आवेदकों से स्वयं चर्चा करके उनकी समस्याओं का निराकरण करें।