रीवा

प्रतिबंधित क्षेत्र में मकान बनाने वाली कालोनियां नहीं हो पाएंगी नियमित

– सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की, वर्ष 2016 ये 2022 तक के बीच आबाद हुई कालोनियों का होगा सर्वे

रीवाJun 01, 2023 / 12:29 pm

Mrigendra Singh

Illegal colony rewa city, municipal corporation



रीवा। शहर में अवैध कालोनियों के नियमितीकरण को लेकर सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। जिसमें कई नई शर्तें जोड़ी गई हैं। इससे अब उन कालोनियों के नियमितीकरण में पेंच फंसेगा जो प्रतिबंधित क्षेत्रों की भूमि पर भी मकान बनवा चुकी हैं। इसके लिए सरकार ने सर्वे कराने का निर्देश दिया है। सर्वे के बाद तय होगा कि इन कालोनियों को किस तरह से नियमित किया जाएगा।
सरकार का आदेश मिलते ही नगर निगम ने सर्वे का कार्य प्रारंभ कर दिया है। रीवा शहर में चिन्हित की गई अधिकांश अवैध कालोनियों में पार्क नहीं बनाए गए हैं और न ही इसके लिए कोई खाली स्थान छोड़ा गया है। साथ ही नदी, नालों और तालाबों के किनारे ग्रीन बेल्ट की भूमि पर भी मकान कालोनाइजर्स ने बनवा दिए हैं। ऐसी कालोनियों को नियमित करने की बात दूर, कालोनाइजर्स के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में सभी निकायों को कहा गया है कि 31 दिसंबर 2016 से लेकर 31 दिसंबर 2022 की अवधि में विकसित हुई सभी कालोनियों को नियमित किया जाएगा। इस दौरान यह भी पता लगाना है कि जो ग्रीन बेल्ट एवं अन्य नियमों की अवहेलना कर रहे हैं उन पर कार्रवाई भी की जाए।
इस कारण सर्वे के कार्य में गंभीरता के साथ कार्य कराए जाने के लिए कहा गया है। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने भोपाल से एक कार्यक्रम के दौरान अवैध कालोनियों के नियमितीकरण की शुरुआत कराई है। इन कालोनियों में रहने वाले लोग अब तक सरकारी तौर पर उपेक्षित रहे हैं। कालोनियों के नियमित होने से यहां पर रहने वाले लोगों को अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। इन अवैध कॉलोनी में रहने वाले लोग अब बैंक लोन ले पाएंगे। पहले अवैध कॉलोनी में बैंक लोन की पात्रता नहीं थी, जिससे लोगों को परेशानी हो रही थी। इन कॉलोनियों में नियमित योजनाओं जैसे अमृत योजना, सांसद-विधायक निधि से विकास के लिए राशि खर्च करने का भी प्रावधान किया जाएगा। हालांकि रीवा शहर में अवैध कालोनियों में भी विकास कार्य नगर निगम द्वारा कराए जाते रहे हैं।

– रजिस्ट्री के लिए निकाय की एनओसी जरूरी
अवैध कालोनियों में रहने वाले लोगों को अब भूमि-भवन की खरीदी और बिक्री के लिए अब नगर निगम की एनओसी अनिवार्य होगी। अब तक अवैध कालोनियों में खरीदी-बिक्री सीधे तौर पर दो पक्षों के बीच होती रही है। नगर निगम अब तय करेगा कि उक्त भूमि या भवन ग्रीन बेल्ट अथवा अन्य प्रतिबंधित एरिया में तो नहीं है। नगर निगम के अधिकारी सीधे एनओसी जारी नहीं कर पाएंगे, उन्हें भी संबंधित क्षेत्र के रहवासी संघ से राय लेने के बाद अपना अभिमत देना होगा।

– राशि जमा नहीं करने पर कुर्की का भी प्रावधान
नई गाइडलाइन में कहा गया है जिन कालोनियों में पार्क नहीं बनाए गए हैं अथवा उसके लिए भूमि नहीं छोड़ी गई है। उन कालोनाइजर्स से पार्क निर्माण के बराबर राशि जमा कराई जाएगी। यदि कालोनी में कोई खाली स्थान होगा तो उसका सीधे अधिग्रहण कर लिया जाएगा और यदि भूमि नहीं होगी और कालोनाइजर्स द्वारा राशि भी जमा नहीं की जाएगी तो उसकी चल-अचल संपत्ति से कुर्की करते हुए इसकी भरपाई की जाएगी। कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार इन कालोनाइजर्स से राशि की रिकवरी होगी। इस राशि से संबंधित कालोनी में अन्य जरूरत के कार्य कराए जाएंगे।

– रहवासी संघों का होगा पंजीयन
ेगत दिवस मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के बाद नगर निगम ने कालोनियों में रहने वाले लोगों से संपर्क कर सरकार की योजना बनाते का कार्य शुरू किया है। इसके लिए हर कालोनी में एक रहवासी संघ बनाया जाएगा। इसका पंजीयन भी कराया जाएगा और नगर निगम हर कार्य इसी संघ के जरिए संपादित कराएगा।

– शहर में 31१ कालोनियों पर चल रही प्रक्रिया
रीवा शहर में हाल ही में 40 अवैध कालोनियों को नियमित किया जा चुका है। दूसरे चरण में 31 नई अवैध कालोनियों के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ है। इनके नियमितीकरण को लेकर प्रक्रिया चल रही है। दावा-आपत्तियां नगर निगम ने आमंत्रित किया है। पूर्व में शहर में 121 कालोनियों का सर्वे कराया गया था। यह कालोनियां वर्ष 2016 के पहले विकसित हुई थी। इसके बाद विकसित होने वाली कालोनियों का अभी सर्वे प्रारंभ किया जा रहा है।

अवैध कालोनियों के नियमितीकरण को लेकर नई गाइडलाइन आई है। जिसमें प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण को अनुमति नहीं मिलेगी। साथ ही पार्क जहां नहीं बनाए गए हैं, उन कालोनाइजर्स से कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर राशि जमा कराएंगे। यदि वह जमा नहीं करेंगे तो कुर्की कर रिकवरी होगी। नई कालोनियां का सर्वे प्रारंभ करा दिया है।
एचके त्रिपाठी, नोडल अधिकारी अवैध कालोनी सेल नगर निगम Rewa
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